घर आया पार्सल खोलते ही चौंक गए पापा, बरसों पहले लापता हुए बेटे ने भेजा जीते हुए मेडल
अहमदाबाद। रौनक की कहानी अजीबोगरीब है। यह बच्चा घर से बार-बार गायब क्यों हो जाता है, इसकी वजह किसी को मालूम नहीं। 2012 में पहली बार घर से गायब हुआ तो परिजनों ने बहुत तलाश किया। 2015 में रौनक खुद ही घर लौट आया। इसके बाद फिर वह 2016 में गायब हो गया और इस बार भी घरवालों की तलाश में वह नहीं मिल पाया। अचानक हफ्तेभर पहले घर पार्सल आया। पिता ने पार्सल खोला तो बेटे रौनक ने उनको जीते हुए मेडल, मोमेंटो और किताबें भेजी थीं। पार्सल पाकर एक बार फिर घरवालों को लग रहा है कि रौनक जहां भी है, वह सलामत है और उनके मन में बेटे के फिर वापस लौटने की आस जगी है।
पार्सल मिलने पर कुरियर कंपनी से किया संपर्क
लापता बेटे रौनक का पार्सल मिलते ही पिता नरेंद्र पंचाल ने महेसाणा की कुरियर कंपनी से संपर्क किया। पिता ने जब पूरी कहानी बताई तब कुरियर कंपनी के कर्मचारी ने भेजने वाले का आधार कार्ड दिया जिसमें तस्वीर रौनक की तस्वीर लगी थी लेकिन नाम सूर्या लिखा था। उसमें दिया गया पता राजस्थान के संकल्प बालगृह का था। इसी कारण नरेन्द्र भाई फौरन वहां पहुंचे। लेकिन वहां से पता चला कि रौनक अक्टूबर महीने में ही निकल भागा था।
2012 में पहली बार गायब हुआ था रौनक
23 फरवरी 2012 को रौनक साइकिल लेकर घर से निकला था। वह अपने साथ 500 रुपये लेकर भाग गया था। इधर परिजन ने उसको बहुत तलाशा लेकिन उसका कुछ पता नहीं चला। बाद में 15 मई 2015 को उसने अपने पिता को कॉल किया। उसने बताया कि कोई उसे चॉकलेट का लालच देकर उठा ले गया था जिसके बाद वह एक दुकान में काम करने के साथ-साथ पढ़ाई करने लगा। वह घर वापस लौट आया लेकिन उसका व्यवहार काफी बदल गया था।
2015 में घर लौटा था रौनक, 2016 में गायब
2015 में घर लौटे रौनक की बातचीत की भाषा और बर्ताव में भी काफी बदलाव था। वह गुजराती के बजाय हिंदी बोल रहा था और घर में सबके सामने बीड़ी भी पीने लगा था। 17 मार्च 2016 को 10वीं की पढ़ाई के दौरान माता-पिता की गैर मौजूदगी का लाभ उठाकर फिर से भाग गया। उसके माता-पिता रिश्तेदार के यहां गए हुए थे इधर वह गायब हो गया। इसके बाद उसका कुछ पता नहीं चला था लेकिन अचानक उसका भेजा हुआ पार्सल आया तो परिजनों को उसके लौटने की उम्मीद एक बार फिर बंध गई। माता-पिता को लगता है कि रौनक फिर लौटेगा।
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