BHU में मुस्लिम प्रोफेसर का हुआ विरोध, लेकिन गुजरात में आबिद सैयद बरसों से पढ़ा रहे हैं संस्कृत
अहमदाबाद। उत्तर प्रदेश की बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के संस्कृत विभाग में मुस्लिम प्रोफेसर फिरोज खान की नियुक्ति का विरोध हुआ। फिरोज को 5 नवंबर को बीएचयू में नौकरी मिली, लेकिन कुछ छात्रों के विरोध के चलते वे पढ़ाई नहीं करा सके। वहीं, दूसरी ओर गुजरात के वडोदरा में बच्चे एक मुस्लिम शिक्षक से ही संस्कृत पढ़ते हैं। मगर, उस मुस्लिम शिक्षक का हिंदुओं ने कभी विरोध नहीं किया। बहरहाल, बीएचयू में भी छात्रों ने विरोध-प्रदर्शन बंद कर दिए हैं। मगर, अभी भी फिरोज बीएचयू में नहीं पहुंचे हैं। ऐसे में वडोदरा में संस्कृत पढ़ाने वाले 46 वर्षीय आबिद सैयद इन दिनों चर्चा में आ गए हैं। पढ़िए उनकी कहानी...
'भाषा को भाषा की तरह पढ़ाएं, इस पर विवाद न हो'
आबिद सैयद कहते हैं कि मैंने सरदार पटेल यूनिवर्सिटी से संस्कृत और अंग्रेजी में एमए की पढ़ाई की थी। अपने स्कूल वाले दिनों में भी संस्कृत के श्लोक पढ़े और 1998 से संस्कृत पढ़ा भी रहे हैं। बीते 22 साल से हम एमईएस बॉयज हाई स्कूल में संस्कृत पढ़ा रहे हैं। हमारा मानना है कि शिक्षा किसी के भी द्वारा दी जा सकती है। एक गैर-मुस्लिम भी अरबी पढ़ा सकता है। भाषा को भाषा की तरह पढ़ाया जाना चाहिए।'
कभी नहीं करना पड़ा विरोध का सामना
बकौल आबिद सैयद, 'मुझे न तो कभी हिंदुओं की ओर से विरोध का सामना करना पड़ा और ना ही मुसलमानों ने विरोध किया। मेरे विद्यालय की 9वीं कक्षा में 166 स्टूडेंट हैं। उसमें से ज्यादातर मुस्लिम हैं, जोकि संस्कृत पढ़ रहे हैं।'
बेटी ने संस्कृत 98 पर्सेंट नंबर पाए
आबिद के अनुसार, वे बच्चों को यह भी सिखाते हैं कि भाषा के साथ-साथ उसके साथ मिलने वाली नैतिक शिक्षा को भी जीवन में उतारें। खुद सैयद की बेटी इजमा बानू बड़ौदा मेडिकल कॉलेज की छात्रा है। वर्ष 2017 में 10वीं कक्षा में संस्कृत विषय में उसने 98 पर्सेंट नंबर पाए थे।