पतंगबाजी जानलेवा: गुजरात में मांझे से 200 लोगों के गले कटे, सैकड़ों पक्षी मरे, 2000 से ज्यादा जख्मी हुए
अहमदाबाद. गुजरात में उत्तरायण का पर्व पूरे हर्षोल्लास से मनाया जाता है। मगर, इसी अवसर जो पतंगबाजी हो रही है, वह हजारों पक्षियों पर मौत का तांडव मचा रही है। अलग-अलग स्थानों पर पतंग के मांझे से यहां सैकड़ों लोग जख्मी हो चुके हैं, साथ ही सैकड़ों पक्षी कटकर मर गए हैं। पतंगबाजी के कारण ही कई युवकों की जान चली गई। 200 से ज्यादा लोगों के गले गए, जिनमें से कई का अभी इलाज चल रहा है। इंसानों के अलावा 2 हजार से ज्यादा पक्षी पतंग की डोर से कटे हैं।
इस बार भी जानलेवा साबित हुई पतंगबाजी
एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस बार उत्तरायण पर एंबुलेंस-108 के पास 3959 कॉल आए, जबकि पिछली बार लोगों के 3468 कॉल आए थे। उत्तरायण के मौके पर, दोनों साल की तुलना करें तो इस बार 14% कॉल ज्यादा आए हैं। पक्षियों के बचाव के लिए राज्य सरकार ने मुख्यमंत्री विजय रूपानी की अगुवाई में करुणा अभियान शुरू किया, जो कि हर साल 10 से 20 जनवरी तक चलाया जाता है। इस अभियान में शामिल डॉक्टरों द्वारा पतंग के धागे से घायल पक्षियों का इलाज किया जाता है। यह होने पर भी चीनी मांझे और कांच वाली पतंग की डोर से सैकड़ों पक्षी मारे गए। बताया जाता है कि, उत्तरायण पर मंगलवार को अकेले राजकोट में 344 पक्षी घायल हुए।
2500 से ज्यादा पक्षी पतंग की डोर से कटे
राजकोट से भी ज्यादा बुरा हाल अहमदाबाद का रहा। 14 और 15 जनवरी दौरान अहमदाबाद में 1500 पक्षी घायल हुए। जिनमें से करीब 100 पक्षियों ने दम तोड़ दिया। इसी प्रकार राज्यभर में 2500 से ज्यादा पक्षी पतंग की डोर की भेंट चढ़ गए। अकेले अहमदाबाद में ही 150 से ज्यादा लोग सड़कों पर मांझे से जख्मी हुए।
पक्षियों की उड़ान के दौरान ही पतंगें उड़ाई गईं
राज्य वन विभाग के राउंड फॉरेस्टर भाटिया ने कहा, "इलाज के लिए लाए गए अधिकांश पक्षी गंभीर रूप से अपने पंखों के कटने या शरीर पर गंभीर कट लगने से घायल हुए थे। हमने जख्मी पक्षियों के 2 हजार से ज्यादा मामले नोटिस किए हैं। विभाग की ओर से कहा गया था कि सुबह 6 से 8 बजे औऱ शांम 5 से 7 बजे पतंग नहीं उड़ाई जाएं, क्योंकि ऐसे समय में पक्षी आसमान में ज्यादा उड़ रहे होते हैं। लेकिन शहरों में पतंगबाजी इसी समय ज्यादा हुई।
राज्यभर में 357 पशु भी घायल हुए
अहमदाबाद स्थित एनजीओ जीवदया चेरीटेबल ट्रस्ट ने 800 से ज्यादा घायल पक्षियों का उपचार किया। एनजीओ के संचालक ने कहा कि, हमें उत्तरायण के दिन 378 घायल पक्षी मिले और दूसरे दिन 400 से ज्यादा मिले हैं। अधिकांश पक्षियों में कबूतर शामिल थे, जिनके पंख या पैर पर गंभीर चोटें आई थीं। अन्य पक्षियों में गौरैया, तोते, उल्लू, मोर, हरी मधुमक्खी खाने वाले और कंघी बतख शामिल थे। पक्षियों में इस साल जीवित रहने का दर 85 प्रतिशत रहा है। इस साल घायल पक्षियों के साथ पशु भी शामिल हैं। राज्यभर में 357 पशु भी घायल हुए।
एंबुलेंस-108 के आंकड़ों की तस्वीर ऐसी रही
अहमदाबाद में एंबुलेंस-108 के आंकड़ों से पता चला है कि शहर के विभिन्न अस्पतालों में 72 लोगों को मांझे से संबंधित चोटों के कारण ले जाया गया था। जबकि 87 को गिरने से चोटों के कारण अस्पताल पहुंचाया गया। पूरे गुजरात में करीब 200 लोगों को छोटी-मोटी चोटें पतंगबाजी के दौरान आईं। उन पीड़ितों की या तो आंखों के पास चीरे लगे थे या फिर उनके सीने के नीचे, कान-नाक और गाल एवं होंठ भी जख्मी थे। कुछ घटनाएं वाहनों से हुईं।
2019 की तुलना में इमरजेंसी केस 14 पर्सेंट बढ़े
ईएमआरआई गुजरात के सीओओ जशवंत प्रजापति के अनुसार, वर्ष 2019 की तुलना में गुजरात में इस बार उत्तरायण पर आपात स्थिति में 14 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। जबकि, अहमदाबाद के लिए यह आंकड़ा 24 प्रतिशत रहा। चीनी मांझे पर पाबंदी लगाने के बाद भी पतंग-उत्सव में काफी बड़ी संख्या में लोग, पक्षी एवं पशु जख्मी हुए हैं। राज्य में छत से गिरने से दो लोगों की मौत हो चुकी है।
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