नित्यानंद पर युवतियों को बंधक बनाए रखने के आरोप, माता-पिता ने हाईकोर्ट में दायर की याचिका
अहमदाबाद। विवादास्पद गुरु नित्यानंद के अहमदाबाद स्थित आश्रम से युवतियों के गुम होने के मामले में हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल की गई है। युवतियों के परिजनों ने नित्यानंद एवं उनके आश्रम के कर्मियों पर बेटियों को गायब करने का आरोप लगाया है। जिनमें से एक बेटी के साउथ अमेरिकी देश त्रिनिदाद एंड टोबैगो में होने की जानकारी मिली है। पुलिस ने उस 21 वर्षीय बेटी से स्काइप के जरिए संपर्क किया था।
बंदी प्रत्यक्षीकरण यानी 'हेबियस कॉर्पस' की पिटीशन युवतियों के परिजनों ने ही दाखिल की। वहीं, सोमवार दोपहर पुलिस की ओर से बताया गया कि 21 वर्षीय युवती ने कहा है कि मेरा अपहरण नहीं हुआ, बल्कि सुरक्षित और खुश हूं।''
नित्यानंद
और
उसकी
दो
सेविकाओं
पर
मुकदमा
इससे
पहले
गुजरात
पुलिस
ने
नित्यानंद
और
उसकी
दो
सेविकाओं
पर
मुकदमा
दर्ज
किया
था।
युवतियों
ने
परिजनों
ने
पुलिस
में
शिकायत
की
थी
कि
स्वामी
नित्यानंद
और
दो
सेविकाएं
प्राणिप्रया
व
प्रीयतत्वा
पर
युवतियों
से
मारपीट
करने,
अपहरण,
बंधक
बनाने
एवं
चाइल्ड
लेबर
एक्ट
के
तहत
कस
दर्ज
किया
जाए।
परिजनों
ने
यह
भी
कहा
था
कि
उनकी
बेटी
की
या
तो
हत्या
कर
दी
गई
या
फिर
नित्यानंद
उसे
विदेश
भगा
ले
गया
है।
अथवा
उसे
बंधकर
बनाकर
कहीं
रखा
जा
रहा
है।
इसलिए
दाखिल
हुई
बंदी
प्रत्यक्षीकरण
याचिका
बंदी
प्रत्यक्षीकरण
याचिका
को
कानूनी
भाषा
में
हैबियस
कॉर्पस
कहा
जाता
है।
इस
याचिका
का
उपयोग
हाई
कोर्ट
या
सुप्रीम
कोर्ट
में
तब
किया
जाता
है,
जब
किसी
व्यक्ति
को
अवैध
रूप
से
कस्टडी
में
रखा
जाए
या
किसी
अन्य
व्यक्ति
द्वारा
ऐसा
कार्य
किया
जाना
जो
अपहरण
के
दायरे
में
आता
हो।
कानूनी
जानकारों
की
मानें
तो
बहुत
से
ऐसे
मामले
होते
हैं
जिनके
बारे
में
पुलिस
कोई
सुध
नहीं
लेती
है।
लेकिन
यदि
इनमें
पीड़ित
पक्ष
द्वारा
बंदी
प्रत्यक्षीकरण
याचिका
लगा
दी
जाए
तो
पुलिस
केस
में
पूरा
जोर
लगा
देती
है।
पुलिस
फिर
उन
तरीकों
को
भी
अपनाती
है,
जो
आमतौर
पर
अपनाए
नहीं
जाते।