पिता को हुआ कैंसर, मां-बहन का दुख देख शिल्पी बनीं भगती, 60 से ज्यादा विधवाओं को रोजगार दिया
अहमदाबाद। गुजरात की रहने वालीं भगती देवी 'महिला शक्ति' का जीता-जागता उदाहरण हैं। वे हरियाणा के कुरुक्षेत्र प्रतिवर्ष होने वाले अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में पर्यटकों के लिए स्पार्कल पेंटिंग बनाती हैं। इन पेंटिंग्स को विदेशी काफी पसंद करते हैं। इस बार भगती अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव 2019 के सरस मेले में स्टाल नम्बर-845 में फिर अपनी प्रतिभा दिखा रही हैं। उनकी पेंटिंग भगवान श्रीकृष्ण के गीता उपदेश को दर्शा रही हैं, जिन्हें जेहन में रखकर सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव को काफी महत्व दिया है। अपनी इस तरह की 'भक्ति' में भगती पिछले 4 सालों से लगी हुई हैं।
60
से
ज्यादा
विधवा
महिलाओं
को
दिया
रोजगार
भगती
एक
शिल्पकार
हैं।
अपनी
कला
के
बारे
में
वह
बताती
हैं
कि
जम्मू-कश्मीर
को
छोड़कर
देश
के
लगभग
सभी
राज्यों
के
शिल्प
मेलों
में
स्पार्कल
पेंटिंग्स
का
प्रदर्शन
करा
चुकी
हैं।
उनकी
स्टोन,
जरदोशी
की
शिल्प
कला
को
भी
खूब
सराहा
गया
है।
अब
उनके
ग्रुप
के
साथ
11
पुरुष
और
60
से
ज्यादा
विधवा
महिलाएं
काम
कर
रही
हैं।
सरकार
से
7
हजार
रुपए
की
आर्थिक
मदद
मिलने
के
बाद
6
वर्ष
पहले
भगती
ने
एक
छोटा-सा
व्यवसाय
शुरू
किया
था
और
अब
उनका
व्यवसाय
बड़े
स्तर
पर
पहुंच
चुका
है।
हर
माह
2
लाख
रुपए
की
बिक्री
करके
वह
50
हजार
रुपए
का
फायदा
उठा
लेती
हैं।
कैंसर
से
पीड़ित
परिजनों
को
खुद
ही
संभाला
भगती
गुजरात
के
जामनगर
के
गांव
बालपुर
से
ताल्लुक
रखती
हैं।
करीब
7
साल
पहले
उनके
पिता
भीखू
बाई
को
कैंसर
की
बीमारी
ने
जकड़
लिया।
उनकी
बहन
भी
बीमारी
से
ग्रस्त
हो
बिस्तर
पर
पड़ी
रह
गईं।
इसके
बाद
उन्होंने
अपनी
मां
अस्मिता
बाई
का
भी
संघर्ष
देखा।
अब
भगती
खुद
बेसहारा
महिलाओं
के
लिए
रोजगार
का
जरिया
हैं।
60
बेसहारा
महिलाओं
(विधवाओं)
का
समूह
उनके
साथ
है।
सरकार
ने
उनके
प्रयासों
को
सराहा
है।
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