मंदी से बाहर रहा गुजरात, RERA का नहीं पड़ा असर, रेवेन्यू हुआ 6000 करोड़
Gujarat News in hindi (गांधीनगर। गुजरात में रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट एक्ट (RERA) का प्रभाव खराब नहीं दिख रहा है, क्योंकि यहां स्टाम्प-ड्यूटी राजस्व में वृद्धि हुई है। वित्त विभाग के आंकड़ों के अनुसार, मार्च -2015 तक 5,934 करोड़ रुपये का एक साल का स्टाम्प-ड्यूटी राजस्व मिला है। अनुमान है कि मौजूदा साल के अंत में यह आंकड़ा 6000 करोड़ पार हो जाएगा।
स्टाम्प-ड्यूटी
की
आय
6000
करोड़
होगी
रियल
एस्टेट
सेक्टर
में
गुजरात
में
उफान
की
हवा
चल
रही
है।
इस
साल
आठ
महीनों
में
8.20
लाख
बिक्री
दस्तावेज
पंजीकृत
किए
गए
हैं,
जिसमें
सरकार
को
4000
करोड़
की
स्टाम्प-ड्यूटी
मिली
है।
अगर
पंजीकरण
के
समय
ऐसा
चलता
रहेगा
तो
मार्च
2019
के
अंत
तक,
स्टाम्प-ड्यूटी
की
आय
6000
करोड़
रुपये
हो
जायेगी।
गुजरात के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, पिछले वित्तीय वर्ष में सबसे अधिक 11.8 लाख संपत्तियों का कारोबार किया गया। इनमें से सरकार को स्टाम्प-ड्यूटी और पंजीकरण आय प्राप्त हुई है। यह संग्रह भूमि सौदों और पुरानी संपत्ति की बिक्री से उत्पन्न हुआ है।
पूरा
पेमेन्ट
चेक
से
हो
रहा
गुजरात
के
बिल्डर
लॉबी
का
मानना
है
कि
उपभोक्ताओं
का
खरीद
करने
का
रवैया
बदल
गया
है।
अहमदाबाद
में
आयोजित
प्रोपर्टी
शो
में
भूमि
खरीद
की
बिक्री
बढ़ने
से
नई
संपत्ति
बनाने
की
संभावना
बढ़
गई
है।
राज्य
की
स्टाम्प-शुल्क
वृद्धि
का
मुख्य
कारण
यह
है
कि
अधिकांश
बिल्डर
नकद
भुगतान
के
बजाय
चेक
भुगतान
ले
रहे
हैं।
इसके
अलावा,
रेरा
के
नियमों
के
अनुसार,
बिल्डर्स
अब
ग्राहकों
से
ब्लैकमनी
करने
के
लिए
नहीं
कह
सकते
हैं।
पूरा
पेमेन्ट
चेक
से
हो
रहा
है।
गुजरात
में
रियल
एस्टेट
सेक्टर
90000
करोड़
का
गुजरात
का
रियल
एस्टेट
सेक्टर
अभी
90000
करोड़
का
है।
माना
जाता
है
कि
मार्च
2019
तक
ये
सेक्टर
एक
लाख
करोड़
का
हो
जायेगा।
जमीन
और
मिलकत
की
बिक्री
के
कारण
सरकार
के
लिए
स्टाम्प-ड्यूटी
की
आय
में
वृद्धि
होना
स्वाभाविक
है।
हालांकि,
बाजार
मंदी
के
माहौल
में
है,
फिर
भी
गुजरात
में
रियल
एस्टेट
सेक्टर
के
आंकड़े
बढ़
रहे
हैं।
नहीं
मिले
कस्टमर
गुजरात
में,
हाल
ही
में
अहमदाबाद
में
गाहेड
और
क्रेडाई
द्वारा
एक
प्रोपर्टी
शो
का
आयोजन
किया
गया
था।
हालांकि,
स्थिति
अलग
रही।
मध्यम
वर्ग
के
परिवार
शो
में
आए,
लेकिन
टेनमेंट्स
और
अपार्टमेंट
योजनाओं
की
कीमतों
को
देखते
हुए,
घर
खरीदने
का
विचार
बदल
गया
है।
सस्ती
स्कीम
के
लिये
कस्टमर्स
का
रुझान
नहीं
हुआ
है।
बिल्डरों
ने
प्रोपर्टी
शो
में
दिलचस्पी
नहीं
दिखाई
इस
प्रॉपर्टी
शो
में
शानदार
प्रोजेक्ट
अधिक
थे।
जो
मिडल
क्लास
खरीद
नहीं
सकते
थे,
वहां
जाने-माने
डेवलपर्स
ने
एक
अपार्टमेंट
की
कीमत
35
लाख
से
75
लाख
तक
रखी
थी।
उसी
वजह
से
उनको
ज्यादा
खरीदार
नहीं
मिले।
पिछले
साल
इस
प्रॉपर्टी
शो
में
70
डेवलपर्स
थे,
लेकिन
इस
बार
डेवलपर्स
की
संख्या
घटकर
35
रह
गई
है।
इस
साल
बिल्डरों
ने
प्रोपर्टी
शो
में
कोई
ज्यादा
दिलचस्पी
नहीं
दिखाई।
मिडिल
क्लास
नहीं
ले
पा
रहे
हिस्सा
अहमदाबाद,
राजकोट,
सूरत,
वडोदरा
और
गांधीनगर
में
मिलकत
की
कीमतें
बढ़
रही
हैं,
इसलिए
मध्यम
वर्ग
को
किफायती
दाम
में
घर
नहीं
मिल
रहे
हैं।
सरकार
की
एफोर्डेबल
योजना
में
आय
सीमा
कम
होने
की
वजह
से
मिडल
क्लास
हिस्सा
नहीं
ले
पा
रहे
हैं।
अधिकांश
शहरों
के
लिए,
प्रमुख
स्थानों
में
अपार्टमेंट
की
दरें
1
करोड़
तक
हैं।
आंतरिक
क्षेत्र
में
दो
बेडरूम
वाले
फ्लैटों
की
लागत
कम
से
कम
35
लाख
रुपये
है।
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