गुजरात में कोविड से 'हेल्थ इमरजेंसी' जैसी स्थिति, हाईकोर्ट ने लिया स्वत: संज्ञान
अहमदाबाद। गुजरात में बढ़ते कोरोना संक्रमण को देखते हुए हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है। गुजरात हाईकोर्ट ने इस मामले में एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि मीडिया में महामारी को लेकर आई खबरों में यह संकेत दिया गया था कि प्रदेश 'हेल्थ इमरजेंसी' जैसी स्थिति की तरफ बढ़ रहा है। मुख्य न्यायाधीश विक्रम नाथ ने एक मौखिक आदेश के जरिए हाईकोर्ट की रजिस्ट्री को खुद नई जनहित याचिका दायर करने को कहा। इस याचिका का शीर्षक 'अनियंत्रित बढ़ोत्तरी और कोविड नियंत्रण में गंभीर प्रबंधन मुद्दा' है।
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ऑनलाइन तरीके से सुनवाई होगी
बता दें, यह कोरोना वायरस की स्थिति को लेकर गुजरात हाईकोर्ट द्वारा दाखिल इस तरह की दूसरी जनहित याचिका है। पहली जनहित याचिका पिछले साल दायर की गई थी और उस पर अब भी नियमित अंतराल पर सुनवाई चल रही है। मुख्य न्यायाधीश ने रजिस्ट्री को सूचित किया कि नई जनहित याचिका में गुजरात सरकार, उसके स्वास्थ्य विभाग के साथ ही केंद्र सरकार को भी पक्ष बनाया जाए। इस याचिका पर सोमवार को मुख्य न्यायाधीश विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति भार्गव डी करिया की पीठ द्वारा नाथ के आधिकारिक आवास पर ऑनलाइन तरीके से सुनवाई होगी।
प्रदेश में 5400 नए मामले, 54 की मौत
गुजरात में कोरोना का संक्रमण तेजी से फैलता जा रहा है। स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से रविवार को जारी रिपोर्ट के अनुसार राज्य में एक दिन में 5400 नए मामले सामने आए, जबकि 54 मरीजों की इस दौरान मौत हो गई। गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने शनिवार को कहा कि कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते मामलों के बावजूद राज्य सरकार लॉकडाउन लगाने के पक्ष में नहीं है, क्योंकि वह गरीबों पर इसके प्रभाव पर विचार कर रही है। हालांकि, उन्होंने गांवों में या शहरों में बाजार संघों द्वारा स्थानीय स्तर पर स्वैच्छिक रूप से लॉकडाउन किए जाने का स्वागत किया। रूपाणी ने कहा कि राज्य सरकार गरीब लोगों की समस्याओं को देखते हुए राज्य में लॉकडाउन लगाने को तैयार नहीं है। हमने लोगों की अनावश्यक आवाजाही को रोकने के लिए पहले ही एक दिन में 10 घंटे के लिए कर्फ्यू लगा दिया है।