‘कांग्रेस की साजिश का हिस्सा था गोधरा में ट्रेन जलाना', गुजरात की किताबों में सरकार का दावा
अहमदाबाद। गुजरात सरकार के एक बोर्ड द्वारा राज्य के राजनीतिक इतिहास पर प्रकाशित पुस्तक में 'गोधरा के साबरमती एक्सप्रेस अग्निकांड' को लेकर चैप्टर जारी किया गया है। गुजराती भाषा में छपी यह पुस्तक है विश्वविद्यालय ग्रंथ निर्माण बोर्ड (यूजीएनबी) की, जिसमें शीर्षक रखा गया है 'गुजरात नी राजकीय गाथा'। इस पुस्तक का प्रकाशन दिसंबर 2018 में हुआ था और इसका संपादन पूर्व भाजपा सांसद और बोर्ड की मौजूदा उपाध्यक्ष भावनाबेन दवे ने किया। 'गुजरात नी राजकीय गाथा' में लिखा गया है कि फरवरी 2002 में साबरमती ट्रेन के कोच में लगाई गई आग गोधरा से निर्वाचित कांग्रेस सदस्य द्वारा रची गई "साजिश" का हिस्सा थी। इस अग्निकांड में 59 कारसेवकों की जान चली गई थी, जिसके बाद राज्य में बड़े पैमाने पर दंगे हुए थे।'
'गोधरा
दंगों
का
दोष
कांग्रेस
पर
लगाया
गया'
यानी,
इस
पुस्तक
में
गोधरा
में
ट्रेन
फूंकने
में
कांग्रेस
का
हाथ
बताया
गया
है।
जिसे
देखने
के
बाद
कांग्रेस
तिलमिला
गई
है।
कांग्रेसी
पदाधिकारियों
का
कहना
है
कि
पुस्तक
में
तथ्यों
से
छेड़छाड़
कर
भाजपा
सरकार
ने
भगवाकरण
का
प्रयास
किया
है।
इस
मुद्दे
पर
कांग्रेस
की
प्रदेश
इकाई
के
अध्यक्ष
अमित
चावडा
ने
भाजपा
के
खिलाफ
कानूनी
लड़ाई
लड़ने
की
बात
कही
है।
चावडा
ने
कहा
कि
हम
गोधरा
ट्रेन
अग्निकांड
में
अदालत
के
फैसले
को
'तोड़ने-मरोड़ने'
को
लेकर
लेखक
के
खिलाफ
कानूनी
राय
लेकर
कार्रवाई
कराएंगे।
यह
भी
लिखा
है
पुस्तक
में
'गुजरात
नी
राजकीय
गाथा'
पुस्तक
के
एक
गद्यांश
में
लिखा
गया
है,
'एक
स्थिर
सरकार
को
अस्थिर
करने
के
लिये
27
फरवरी
2002
को
एक
साजिश
रची
गई।
साबरमती
एक्सप्रेस
के
एक
डिब्बे
को
आग
लगा
दी
गई,
जिसमें
अयोध्या
से
कारसेवक
लौट
रहे
थे।
59
कारसेवकों
की
जलकर
मौत
हो
गई
थी।
यह
साजिश
गोधरा
से
कांग्रेस
के
निर्वाचित
सदस्य
द्वारा
रची
गई
थी।
ट्रेन
जलाए
जाने
के
बाद
गुजरात
के
इतिहास
में
सबसे
भीषण
दंगे
हुए
थे,
जिसमें
1000
से
ज्यादा
लोगों
को
जान
गंवानी
पड़ी
थी।'
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