ट्रंप के दौरे से पहले बन रही दीवार पर बोले लोग- हमारी गरीबी दिखती है तो पक्के घर बनाकर दें, ऐसी दीवार न खींचें
अहमदाबाद. इस महीने पहली बार किसी अमेरिकी राष्ट्रपति का गुजरात दौरा होगा। राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप 24-25 फरवरी के दिन अहमदाबाद आएंगे। उनके दौरे के लिए भारत सरकार खास तैयारियां कर रही है। ट्रंप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ 'केम छो ट्रंप' कार्यक्रम में मंच साझा करेंगे। साथ ही वे कुछ जगहों पर घूमेंगे भी। जहां से काफिला गुजरेगा, वहां झुग्गी-झोपड़ी की बस्ती हैं। झुग्गियों का अंबार दिखाई ना दे, इसलिए अहमदाबाद म्युनिसिपल कॉरपोरेशन (एएमसी) की तरफ से 7 फीट ऊंची दीवार बनाई जा रही है। यह दीवार सरदार पटेल इंटरनेशनल एयरपोर्ट को इंदिरा ब्रिज से जोड़ने वाली सड़क पर बन रही है।
इस दीवार के निर्माण पर लोग स्थानीय लोगों ने एतराज जताया है। लोगों का कहना है कि, केंद्र सरकार हमारी गरीबी छुपाना चाहती है, इसलिए दुनिया को झुग्गी बस्ती नहीं दिखाना चाहती। हम कह रहे हैं कि, अगर सरकार को दिक्कत है तो वो हमारे लिए पक्के घर ही क्यों नहीं बनवा देती। एक वृद्धा ने कहा, ''अगर यह दीवार नहीं बनती तो जब अमरीकी राष्ट्रपति यहां से निकलते तो कम से कम उन्हें हमारी समस्या दिखती, लेकिन सरकार यह हकीक़त छुपाना चाहती है। ऐसी दीवार नहीं बनानी चाहिए। अगर मोदीजी को झुग्गी बस्ती पसंद नहीं हैं और हमारी गरीबी दिखती है तो पक्के मकान बनाकर दें।''
एक अन्य स्थानीय निवासी ने कहा, ''हम देख रहे हैं कि यहां बीते दो-तीन दिन से दीवार बनाने का काम चल रहा है। इस दीवार के बनने से हमारी बस्ती घिर जाएगी, हमारा हवा-पानी बंद हो जाएगा। यहां न तो सीवर की व्यवस्था है, ना बिजली पानी की। हमें तो अंधेरे में गुज़ारा करना पड़ता है। रास्ता भी ऐसा है कि, घुटनों तक पानी भर जाता है। लोगों को निकलने में दिक्कतें होती हैं। ट्रंप का शो तो एक दिन का है, हम तो परेशानी में पहले से जी रहे हैं। सरकार को काम करना चाहिए, ताकि दीवार बनाने की नौबत ही न आए।'
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बता दें कि, यह स्लम बस्ती अहमदाबाद के इंदिरा ब्रिज से सटे सरणियावास इलाके में पड़ती है। यहां करीब 2500 लोग रहते हैं। अहमदाबाद से गांधीनगर तक जाने वाले मुख्य मार्ग को झुग्ग्यिों से छिपाने के लिए, करीब आधा किलोमीटर लंबी दीवार बन रही है। नगर पालिका के एक अधिकारी का कहना है कि, झुग्ग्यिों को छिपाने वाली यह दिवार 600 मीटर लंबी एवं 7 फीट ऊंची होगी। यहां करीब 500 कच्चे घर या झुग्गी-झोपड़ी हैं। यह बसावट दशकों पुरानी है और देव सरन या सरनीव्यास इलाके का हिस्सा है।
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