गुजरात के आयुर्वेद संस्थानों को अब राष्ट्रीय महत्व का दर्जा, संसद में विधेयक पारित, मंजूरी भी मिल गई
अहमदाबाद। गुजरात के आयुर्वेद संस्थानों को राष्ट्रीय महत्व के संस्थान का दर्जा देने के एक विधेयक को बुधवार को संसद की मंजूरी मिल गई। राज्यसभा ने बुधवार को 'आयुर्वेद शिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान विधेयक-2020' को चर्चा के बाद ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। विधेयक में जामनगर स्थित गुजरात आयुर्वेद विश्वविद्यालय परिसर में ही विभिन्न आयुर्वेद संस्थानों का विलय कर राष्ट्रीय महत्व का दर्जा प्रदान करने का प्रावधान किया गया है।
इस विधेयक में जामनगर के तीन आयुर्वेदिक संस्थान स्नातकोत्तर आयुर्वेद शिक्षण और अनुसंधान संस्थान, गुलाबकुंवर बा आयुर्वेद महाविद्यालय समेत आयुर्वेद औषधि विज्ञान संस्थान के विलय का प्रस्ताव रखा गया है। और आयुर्वेद विश्वविद्यालय परिसर में स्थित विभिन्न आयुर्वेद संस्थानों का विलय होने पर राष्ट्रीय महत्व का दर्जा प्रदान करने का प्रावधान किया गया है। इस चर्चा में कई सदस्यों ने सवाल उठाया कि गुजरात स्थित संस्थान को ही यह दर्जा क्यों प्रदान किया जा रहा है। जिसका जवाब देते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री हर्षवर्धन ने कहा कि जामनगर संस्थान का चयन 'मनमाने तरीके' से नहीं किया गया बल्कि उद्देश्यात्मक तरीके से इसे चुना गया। क्योंकि 1956 में स्थापित यह संस्थान इस श्रेणी में सबसे पुराने संस्थानों में से एक है।
हर्षवर्धन ने कहा कि आयुर्वेद विधा में विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ यह संस्थान लंबे समय से समन्वय करता आ रहा है। और पिछले 20 साल में ही इसने करीब 65 देशों के विद्यार्थियों को प्रशिक्षण दिया है। और विभिन्न देशों के साथ 30 समझौते भी किए हैं। हालांकि तैयार होने की बात भी उन्होंने कही है। साथ ही समाज और दुनियाभर की स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूत करने के लिए आयुर्वेद तथा इसकी उपयोगिता की सराहना भी की थी।