ताजमहल 12:30 बजे से बंद, इसे देखने वाले ट्रंप तीसरे अमेरिकी राष्ट्रपति, 3000 कलाकार करेंगे स्वागत
आगरा. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प आज से दो दिन के भारत दौरे पर हैं। उनके दो दिन भारत के तीन शहरों में बीतेंगे। अहमदाबाद के कार्यक्रमों के बाद वह आगरा आएंगे और यहां सोमवार की शाम अपनी पत्नी मेलानिया के साथ ताजमहल देखेंगे। उनकी ताज-विजिट को देखते हुए, आगरा प्रशासन एवं टूरिज्म डिपार्टमेंट ने स्वागत-समारोह रखा है। ताजमहल को दोपहर 12:30 बजे से पब्लिक के लिए बंद कर दिया गया है। अधिकारियों के मुताबिक, शाम करीब 4:30 बजे ट्रंप आगरा आएंगे। 5:30 बजे वह ताजमहल में होंगे।
ताजमहल के दीदार करने वाले तीसरे अमेरिकी राष्ट्रपति
ट्रंप अमेरिका के तीसरे ऐसे राष्ट्रपति होंगे, जो ताजमहल देखने आएंगे। ट्रंप से पहले 2000 में बिल क्लिंटन और उनसे भी पहले 1959 में ड्वाइट आइजनहॉवर आगरा आ चुके हैं। ट्रम्प की सिक्योरिटी के लिए आगरा में भी खास इंतजाम किए गए हैं। उनके रूट पर हजारों पुलिसकर्मी तैनात हैं।
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स्वागत के लिए प्रदेश भर से 3 हजार कलाकार बुलाए
कमिश्नर अनिल कुमार के मुताबिक, ट्रम्प के स्वागत के लिए प्रदेश भर से 3 हजार कलाकार बुलाए गए हैं, जो रास्ते में सांस्कृतिक प्रस्तुतियां देंगे। इनके साथ शहर की तमाम संस्थाएं व स्कूल भी अपनी भागीदारी निभाएंगे।
खुफिया एजेंसियों के 200 अफसर आगरा आए
अमेरिकी राष्ट्रपति के आगरा आगमन को लेकर खूफिया एजेंसियों के 200 अफसर शहर में डेरा डाले हुए हैं, जो 25 फरवरी तक यहां रहेंगे। मंगलवार सुबह तक अमेरिका के सुरक्षा अधिकारियों की टीम के आने की उम्मीद है।
शाम सात बजे आगरा से ट्रंप का प्रस्थान
वीवीआईपी के शेड्यूल के अनुसार, 24 फरवरी को शाम सात बजे तक ट्रंप आगरा से प्रस्थान कर जाएंगे। अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ और कौन-कौन आगरा आएगा, इसकी अधिकारिक जानकारी नहीं मिल पाई है। हालांकि, उनकी पत्नी मेलानिया उनके साथ जरूर होंगी।
22 साल में बनकर तैयार हुआ था ताजमहल
ऐतिहासिक दस्तावेजों के अनुसार, 1632 में ताजमहल को बनाने में करीब 3.2 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे। वास्तुशिल्प की नायाब इमारत ताज महल को बनाने का काम 1632 में शुरू हुआ था, जो 1653 में लगभग 22 साल में बनकर तैयार हुआ। इसको बनाने में उस वक्त करीब 3.2 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे। मुगल सम्राट शाहजहां ने अपनी तीसरी बेगम मुमताज महल की याद में इसे बनवाया था।
22 हजार मजदूरों ने किया था दिन-रात काम
वर्ष 1632 में जब ताज महल का निर्माण शुरू हुआ तो 20 हजार मजदूर काम पर लगाए गए थे। उस दौरान आगरा में भीषण गर्मी पड़ रही थी। पत्थरों के बीच में काम करके लोग बुरी तरह थक जाते थे। तब मजदूरों की संख्या बढ़ाई गई। यह संख्या 22 हजार कर दी गई थी। मजदूर थकें नहीं, इसलिए उन्हें पेठा और चाशनी खिलाई जाती थी।
आज की तारीख में आता 1 अरब डॉलर का खर्च
इन्फोर्मेटिव पोर्टल वंडरलिस्ट डॉट कॉम के मुताबिक, यदि ताजमहल को अब बनाया जाता तो लागत करीब 1 अरब डॉलर (करीब 6700 करोड़ रुपए) आती। ताज महल को बनाने के लिए 28 तरह के उम्दा और कीमती पत्थरों का इस्तेमाल किया गया था। खासकर इसके निर्माण में सफेद संगमरमर का इस्तेमाल ज्यादा हुआ।
466 किलो सोने का था गुंबद पर कलश
कहा जाता है कि शाहजहां ने ताजमहल के निर्माण के समय उसके शिखर पर सोने का एक कलश लगवाया था। जिसकी लंबाई 30 फीट 6 इंच थी। कलश करीब 466 किलोग्राम सोने से बनाया गया था। इस कलश को 3 बार बदला गया। अब इसमें वजन कम बताया जाता है।
खाली हो गया था मुगल बादशाह का खजाना
कई दस्तावेजों में वर्णन है कि ताजमहल को बनवाने में मुल्क का खजाना खाली हो गया था। जिसका जिक्र करते हुए बड़े उर्दू शायर साहिर लुधियानवी ने इसे ‘जनता के आंसुओं का ताज' बताया।
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