400 साल पहले बने ताजमहल के कारीगरों के हाथ कटवाने की बात झूठी, शाहजहां ने सिर्फ इतना कहा था..
आगरा. 7 अजूबों में से एक माना जाने वाला आगरा का एक स्मारक 'ताजमहल' दुनिया की हर 'खास-ओ-आम' शख्सियत को अपने यहां खींच लाता है। सोमवार को डोनाल्ड ट्रंप ने भी पत्नी मेलानिया, बेटी इवांका और दामाद जैरेड कुशनर के साथ ताज को निहारा। यहां आने वाले वह अमेरिका के तीसरे राष्ट्रपति बने। अमेरिका के अलावा रूस, चीन, ब्रिटेन, फ्रांस, इजरायल आदि सभी गिने-चुने देशों के राष्ट्रध्यक्ष ताजमहल देख चुके हैं। देश-दुनिया से आने वाले मुसाफिरों को ताज महल के बारे में कुछ स्थानीय लोगों द्वारा कई बातें गलत बताई जाती हैं, जो कि तथ्यात्मक रूप से सही नहीं हैं। मसलन, कहा जाता है कि, मुगल शासक शाहजहां ने ताजमहल बनाने वाले 20 हजार मजूदरों के हाथ कटवा दिए थे।
ताजमहल के बारे में कई बातें हैं गलत
मगर असलियत यह है कि, शाहजहां ने 20 हजार मजदूरों से जिंदगीभर काम नहीं करने का वादा करवाया था। ऐसा इसलिए किया, ताकि कारीगर कहीं और ताजमहल जैसी इमारत बनवाने का काम नहीं करें। दस्तावेजों के आधार पर इतिहासकार राजकिशोर कहते हैं कि, शाहजहां ने ताज के निर्माण के बाद कारीगरों से आजीवन काम न करने का वादा लिया था। इसके बदले कारीगरों को जिंदगीभर वेतन देने का वादा किया गया था। कारीगरों को कहा गया था कि वे अपने हाथों के हुनर को कहीं और नहीं आजमाएंगे। उनके इस तरह काम करने से रोक देने को ही कई लोग 'हाथ कटवा दिए' की संज्ञा देने लगे।
22 साल में बनकर तैयार हुआ था ताजमहल
ऐतिहासिक दस्तावेजों के अनुसार, 1632 में ताजमहल को बनाने में करीब 3.2 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे। वास्तुशिल्प की नायाब इमारत ताज महल को बनाने का काम 1632 में शुरू हुआ था, जो 1653 में लगभग 22 साल में बनकर तैयार हुआ। इसको बनाने में उस वक्त करीब 3.2 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे। मुगल सम्राट शाहजहां ने अपनी तीसरी बेगम मुमताज महल की याद में इसे बनवाया था।
22 हजार मजदूरों ने किया था दिन-रात काम
वर्ष 1632 में जब ताज महल का निर्माण शुरू हुआ तो 20 हजार मजदूर काम पर लगाए गए थे। उस दौरान आगरा में भीषण गर्मी पड़ रही थी। पत्थरों के बीच में काम करके लोग बुरी तरह थक जाते थे। तब मजदूरों की संख्या बढ़ाई गई। यह संख्या 22 हजार कर दी गई थी। मजदूर थकें नहीं, इसलिए उन्हें पेठा और चाशनी खिलाई जाती थी।
आज की तारीख में आता 1 अरब डॉलर का खर्च
इन्फोर्मेटिव पोर्टल वंडरलिस्ट डॉट कॉम के मुताबिक, यदि ताजमहल को अब बनाया जाता तो लागत करीब 1 अरब डॉलर (करीब 6700 करोड़ रुपए) आती। ताज महल को बनाने के लिए 28 तरह के उम्दा और कीमती पत्थरों का इस्तेमाल किया गया था। खासकर इसके निर्माण में सफेद संगमरमर का इस्तेमाल ज्यादा हुआ।
466 किलो सोने का था गुंबद पर कलश
कहा जाता है कि शाहजहां ने ताजमहल के निर्माण के समय उसके शिखर पर सोने का एक कलश लगवाया था। जिसकी लंबाई 30 फीट 6 इंच थी। कलश करीब 466 किलोग्राम सोने से बनाया गया था। इस कलश को 3 बार बदला गया। अब इसमें वजन कम बताया जाता है।
खाली हो गया था मुगल बादशाह का खजाना
कई दस्तावेजों में वर्णन है कि ताजमहल को बनवाने में मुल्क का खजाना खाली हो गया था। जिसका जिक्र करते हुए बड़े उर्दू शायर साहिर लुधियानवी ने इसे ‘जनता के आंसुओं का ताज' बताया।
शाहजहां को पसंद आया था आफदी का डिजाइन
ताज महल के निर्माण के लिए भारत ही नहीं, अरब पर्सिया और तुर्की से वास्तुविदों, मिर्ताणकर्ताओं और पच्चीकारी के कलाकारों को बुलाया गया था। शाहजहां को सबसे ज्यादा उस्ताद ईसा आफदी का डिजाइन पसंद आया था। इसकी वजह थी कि, ताज का नक्शा बहुत लोगों ने बनाया, मगर वे शाहजहां को खुश नहीं कर पाए थे।
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