स्टैच्यू ऑफ यूनिटी से कमाई में पीछे हुआ ताजमहल, लेकिन पर्यटकों की तादाद में है सबसे आगे
आगरा। विश्व प्रसिद्ध इमारत ताजमहल कमाई के मामले दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' से पिछड़ गया है। हालांकि, पर्यटकों की तादाद के मामले में ताज अभी भी सबसे अव्वल है। बीते एक साल में ताजमहल देखने 64.58 लाख लोग पहुंचे। वहीं, स्टैच्यू ऑफ यूनिटी देखने वालों की संख्या महज 44.4 लाख रह गई। इस तरह ताजमहल सिर्फ स्टैच्यू ऑफ यूनिटी से ही आगे नहीं रहा, बल्कि लाल किले, कुतुब मीनार और फतेहपुर सीकरी से भी आगे है। हालांकि, देश में सबसे ज्यादा पर्यटक आमेर के किले-महलों को देखने आते हैं। मगर, वहां कई किले महल हैं, जबकि ताजमहल अपने आपमें एकलौती इमारत है।
कमाई में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी से पीछे हुआ ताजमहल
भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण की हालिया रिपोर्ट में यह बताया गया कि दुनिया के सात अजूबों में शामिल आगरा का स्मारक ताजमहल पर्यटकों की संख्या के मामले में लाल किला, स्टैच्यू ऑफ यूनिटी, कुतुब मीनार, फतेहपुर सीकरी आदि सभी स्थलों से आगे है। मगर, कमाई के मामले में यह 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' से पीछे रह गया। जिसका बड़ा कारण रहा स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के टिकट महंगे होना। ताजमहल देखने के लिए सभी भारतीयों के लिए एंट्री फीस महज 50 रुपए है, जबकि स्टैच्यू ऑफ यूनिटी देखने के लिए वयस्कों की एंट्री के लिए 120 रुपये की टिकट है।
इसलिए कमाई में पिछड़ रहा आगरा का स्मारक
इतना ही नहीं, स्टैच्यू ऑफ यूनिटी की वेबसाइट के मुताबिक, सरदार पटेल की स्टैच्यू देखने के लिए 3 से 15 साल के बच्चों के लिए 60 रुपये की टिकट है। यदि वहां पर म्यूजियम, फोटो गैलरी और सरदार सरोवर डैम देखना है, तो उसके लिए 3 से 15 साल के बच्चों के लिए 200 रुपये का चार्ज रखा गया है। बड़ों को इसके लिए 350 रुपये चुकाने होंगे। वहीं, एक्सप्रेस एंट्री के लिए टिकट 1000 रुपए का टिकट है। ताजमहल के आस-पास की इमारतें देखने के लिए शुल्क नहीं लगता।
22 साल में बनकर तैयार हुआ था ताजमहल
दस्तावेजों के अनुसार, 1632 में ताजमहल को बनाने में करीब 3.2 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे। वास्तुशिल्प की नायाब इमारत ताज महल को बनाने का काम 1632 में शुरू हुआ था, जो 1653 में लगभग 22 साल में बनकर तैयार हुआ। इसको बनाने में उस वक्त करीब 3.2 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे। मुगल सम्राट शाहजहां ने अपनी तीसरी बेगम मुमताज महल की याद में इसे बनवाया था।
22 हजार मजदूरों ने किया था दिन—रात काम
वर्ष 1632 में जब ताज महल का निर्माण शुरू हुआ तो 20 हजार मजदूर काम पर लगाए गए थे। उस दौरान आगरा में भीषण गर्मी पड़ रही थी। पत्थरों के बीच में काम करके लोग बुरी तरह थक जाते थे। तब मजदूरों की संख्या बढ़ाई गई। यह संख्या 22 हजार कर दी गई थी। मजदूर थकें नहीं, इसलिए उन्हें पेठा और चाशनी खिलाई जाती थी।
आज की तारीख में आता 1 अरब डॉलर का खर्च
इन्फोर्मेटिव पोर्टल वंडरलिस्ट डॉट कॉम के मुताबिक, यदि ताजमहल को अब बनाया जाता तो लागत करीब 1 अरब डॉलर (करीब 6700 करोड़ रुपए) आती। ताज महल को बनाने के लिए 28 तरह के उम्दा और कीमती पत्थरों का इस्तेमाल किया गया था। खासकर इसके निर्माण में सफेद संगमरमर का इस्तेमाल ज्यादा हुआ।
466 किलो सोने का था गुंबद पर कलश
कहा जाता है कि शाहजहां ने ताजमहल के निर्माण के समय उसके शिखर पर सोने का एक कलश लगवाया था। जिसकी लंबाई 30 फीट 6 इंच थी। कलश करीब 466 किलोग्राम सोने से बनाया गया था। इस कलश को 3 बार बदला गया। अब इसमें वजन कम बताया जाता है।
खाली हो गया था मुगल बादशाह का खजाना
कई दस्तावेजों में वर्णन है कि ताजमहल को बनवाने में मुल्क का खजाना खाली हो गया था। जिसका जिक्र करते हुए बड़े उर्दू शायर साहिर लुधियानवी ने इसे ‘जनता के आंसुओं का ताज' बताया।