'हेमा'गढ़ में नहीं आया 'वीरू', हार न जाए 'बसंती'
इस लोकसभा क्षेत्र में अब बसंती-वीरू के दीवानों ने हेमामालिनी-धर्मेंद के बीच आपसी रिश्तों को लेकर सवाल उठाना शुरू कर दिया है। एक वोटर ने कहा, "जो अपना घर नहीं संभाल सकती, वो मथुरा क्या संभालेगी?" चुनाव की रणभेरी बजने को है पर 'वीरू' की एंट्री अब तक नहीं हुई है।
यह भी पढ़ें - बड़बोले बोल की सज़ा
मथुरा के मोहनलाल कहते हैं "उन्होंने कई जनसभाओं में यह वादा किया है कि धर्मेंद जल्द ही मथुरा आएंगे। उनकी बेटी ईशा ने भी कहा था कि चुनाव प्रचार के अंतिम दौर में उनके पिता यहां जरूर आएंगे। उन्होंने हमे धोखा दिया है। अब मैं उन्हें वोट नहीं दूंगा।"
दीपाली पोरवाल का कहना है कि हेमामालिनी ने कहा था कि अगर उनका पूरा परिवार एक साथ चुनाव प्रचार कर रहा है और यह देखकर उन्हें काफी खुशी है। उन्होंने कहा, "क्या अहाना और ईशा उनका परिवार है, धरम जी नहीं ? "
सुनने में आया है 'झूठ बोल रही हैं हेमामालिनी' -
कहा जा रहा है 'बसंती' ने अपने हलफनामे में शिक्षा को लेकर गलत जानकारी दी है। आप के एक नेता कहते हैं ''उन्होंने अपना नाम हेमामालिनी बताया है, जबकि उन्होंने धर्मेंद से शादी रचाने से पहले अपनी जाति और नाम बदल दिया था। अगर वो अपने धर्म को लेकर सच नहीं बोलती, तो जनता उन पर कैसे विश्वास करे।"
मथुरा से चुनावी मैदान में उतरे समाजवादी पार्टी के एक नेता कहते हैं, "कई और नेताओं की तरह उन्हें भी लगता है कि वो मोदी लहर पर सवार होकर जीत तक पहुंच जाएंगी। ऐसे में धर्मेंद को बुलाने का क्या मतलब।"
मामला जो भी हो, पर जनता जितनी जल्द किसी स्टार को सिर-आंखों पर बैठाती है, उतनी ही जल्दी दूर भी कर देती है। यदि 'बसंती' अपने वीरू को वादे के मुताबिक सभा में नहीं ला पाती हैं, तो कहीं ना कहीं जनता में इसका गलत संदेश जाएगा। यही गलत संदेश हेमा के वोटों में सेंध लगा सकता है और अजित सिंंह को जीत दिला सकता है।