वैलेंटाइन डे से पहले छात्राएं बना लें ब्वॉयफ्रेंड, आगरा के कॉलेज के लेटरहेड पर लिखा फर्जी पत्र वायरल
St John's College in Agra, आगरा। आगरा के एक प्रतिष्ठित सेंट जोन्स कॉलेज का एक अजीबोगरीब फरमान सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे पत्र में प्रो. आशीष शर्मा नाम के एक शिक्षक के डिजिटल हस्ताक्षर भी है। वायरल पत्र पर जो तारीख अंकित है वो 14 जनवरी की है, जिसमें लिखा है कि लड़कियों को कम से कम एक प्रेमी होना अनिवार्य है, प्रेमी ना होने पर उस लड़की को कॉलेज में प्रवेश नहीं दिया जाएगा। पत्र में लिखा है कि प्रेमी की हाल में खींची गई एक तस्वीर भी साथ लानी होगी। बता दें कि ये पत्र कॉलेज के लेटर हेड पर लिखा हुआ है।
दरअसल, 14 फरवरी को वेलेंटाइन-डे है। वेलेंटाइन-डे से पहले प्रतिष्ठित सेंट जोन्स कॉलेज के लेटर हेड पर लिखा हुआ ये फरमान जारी हुआ है। जो अब जिले में ही नहीं, सोशल मीडिया पर भी चर्चा का विषय बन चुका है। हालांकि, सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे इस पत्र के बाद कॉलेज के प्रिंसिपल प्रोफेसर एस.पी सिंह ने स्पष्टीकरण दिया है। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर वायरल हुआ ये पत्र फर्जी है। बता कि हमारे संज्ञान में आया है कि कुछ शरारती तत्व द्वारा कॉलेज के लेटर हेड पर गलत तरीके से एक संदेश प्रसारित किया जा रहा हैं।
जिससे कॉलेज का नाम और प्रतिष्ठा धूमिल हो रही है। कहा कि ऐसे शरारती तत्वों के बारे में पता किया जाएगा और उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएंगी। कॉलेज के प्रिंसिपल प्रोफेसर एस.पी सिंह ने कहा कि कोई भी छात्र इस पत्र पर ध्यान नहीं दे। ऐसा कॉलेज की तरफ से कोई आदेश जारी नहीं किया गया है। साथ ही उन्होंने बताया कि प्रो. आशीष शर्मा नाम का कोई भी शिक्षक कॉलेज में नहीं है।
बता दें कि सोशल मीडिया पर वायरल हुए कॉलेज के लेटर हेड पर लिखा था कि 14 फरवरी यानी वेलेंटाइन-डे तक कम से कम एक बायफ्रेंड बना लो। सुरक्षा कारणों के लिए यह करना होगा। कालेज परिसर में किसी भी अकेली लड़की को प्रवेश नहीं दिया जाएगा। अपने बायफ्रेंड के साथ खिंचाई ताजा फोटो कॉलेज में प्रवेश करते समय दिखानी होगी। सिर्फ प्यार बांटिए। जिसके बाद यह पत्र सोशल मीडिया पर तेजी के साथ वायरल हो गया था। पत्र के वायरल होने के साथ ही इस पर लोगों के कमेट भी आने शुरू हो गए थे।
सेंट
जोंस
कॉलेज
का
इतिहास
कॉलेज
की
स्थापना
1850
में
हुई
थी।
कॉलेज
के
पहले
प्राचार्य
आक्सफोर्ड
विश्वविद्यालय
के
बिशप
वैल्पी
फ्रेंच
थे।
उस
समय
कालेज
की
संबद्धता
कलकत्ता
विश्वविद्यालय
से
थी।
1891
में
एलएलबी
की
कक्षाएं
शुरू
हुईं,
1893
में
इलाहाबाद
विश्वविद्यालय
से
परास्नातक
पाठ्यक्रम
की
मान्यता
मिली।
1893
में
रेलवी
में
नौकरी
के
लिए
यहां
टेलीग्राफी
और
संकेतन
भी
सिखाया
जाता
था।
इस
भवन
का
उदघाटन
1914
में
भारत
के
तत्कालीन
गर्वनर
जनरल
लार्ड
हर्डिंग
ने
किया
था।