कश्मीर से धारा 370 हटने का इस परिवार को 30 साल से था इंतजार, खुशी की लहर
आगरा। आर्टिकल 370 और 35A हटने पर आगरा के एक परिवार में खुशी का माहौल है। इस परिवार के मुखिया को आतंकवादियों ने मौत के घाट उतार दिया था और डरा-धमका कर कश्मीर से भगा दिया था। तब से इस परिवार को इंतजार था तो बस इतना कि कब कश्मीर आजाद होगा और कब वो अपनी जमीन पर वापस बेखौफ जा सकते हैं। जैसे ही धारा 370 और 35ए हटने की खबर सामने आई, पूरे परिवार में खुशियां छा गईं। मिठाइयां बांटने का दौर शुरू हो गया।
आतंकवादियों ने चाचा के सिर में मारी थी गोली
आगरा के राजपुर चुंगी में रहने वाले 53 वर्षीय हरीश लांबा कहते हैं, मुझे आज भी वह दिन याद है जब 19 मार्च 1990 को श्रीनगर के लाल चौक कनीकदल में आतंकवादियों ने उनके चाचा के सिर में गोली मार दी थी। खून से लथपथ चाचा को अस्पताल ले जाने तक के लिए कोई साधन मुहैया नहीं था, बमुश्किल अस्पताल पहुंचे जहां आतंकवादी फिर दोबारा पहुंचते हैं और उनको धमकी देते हैं कि अगर उन्होंने कश्मीर नहीं छोड़ा तो उनके पूरे परिवार को मार दिया जाएगा।
छोड़ना पड़ा था कश्मीर
चाचा की मौत अस्पताल में हो गई, लेकिन डर का साया इस परिवार पर इतना हावी हुआ कि उन्हें कश्मीर छोड़ना पड़ा। वह कहते हैं कि उनका कसूर सिर्फ इतना था कि वह हिंदू थे। वो कहते हैं कि इस तरह की घटनाओं से कश्मीर से 90 फीसदी हिन्दू व कश्मीरी पंडितों ने कश्मीर छोड़ दिया था, लेकिन आज जो खुशी उन्हें इस खबर से मिली है वो इस बात को बयां करती है कि सही मायने में उन्हें आज इंसाफ मिला है।
'अब जा सकते हैं कश्मीर'
1990 में आतंकवादियों की गोलियों का शिकार हुए गुलशन लांबा के बेटे विनीत लांबा कहते हैं कि आज भी जब वह अपने चाचा से उस समय का किस्सा सुनते हैं तो कश्मीर जाने के लिए 10 बार सोचते हैं, लेकिन जब धारा 370 हटाने की खबर टीवी पर सुनाई दी, तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। वो कहते हैं कि अब वह भी वहां जा सकते हैं और जैसे उनका पुश्तैनी परिवार वहां बेकरी का व्यापार किया करते थे, अगर मौका लगा तो वह भी अब वहां जाकर व्यापार कर सकते हैं।