ताजमहल के गेट पर हुई अजान, 'मुगलों' के वारिस प्रिंस तुसी हुए खफा
Agra News, आगरा। मुगल बादशाह शाहजहां के 364 वे उर्स पर अजान को लेकर विवाद हो गया। शाहजहां के स्वयंभू वारिस प्रिंस याकूब हबीबुद्दीन तुसी ने इस मामले पर सवाल उठाते है। उन्होंने कहा कि ताजमहल इबादतगाह नहीं है। यहां पहले कभी अजान नहीं हुई। कहा कि वह स्वयं इस मामले की शिकायत दिल्ली तक करेंगे।
शाहजहां के 364 वे उर्स की हुई शुरुआत
ताजमहल को बनवाने वाले शाहजहां ने भी कभी यह नहीं सोचा होगा कि उसके अकीदतमंद उसके उर्स को इस तरह मनाएंगे। मंगलावार को शाहजहां के 364वे उर्स की शुरुआत ग़ुस्ल की रस्म के साथ हुई। आपको बताते दें कि साल में सिर्फ शाहजहां के उर्स के तीन दिन तक ताजमहल के अंदर प्रवेश का कोई टिकट नहीं लगता। साथ ही तहखाने के दरवाजे खोल कर शाहजहां की असली कब्र के दर्शन आम लोगों के लिए शुरू किए जाते हैं। बता दें कि पूरे साल असली कब्र बंद रहती हैं।
गेट पर दी गई अजान
मंगलवार को शाहजहां के 364वे उर्स पर ताजमहल स्थित शाहजहां की असली कब्र के दरवाजे खोलकर ग़ुस्ल की रस्म अदायगी हुई। इस दौरान प्रिंस तुसी जियारत करने पहुंचे थे। दोपहर 2 बजे गुस्ल की रस्म के साथ उर्स शुरू हुआ। ताजमहल के तहखाने में स्थित शाहजहां और मुमताज की असली कब्र के दरवाजे खोल दिए गए। इस दौरान इंतजामिया कमेटी के सदस्यों ने गेट पर ही अजान दे दी।
प्रिंस तुसी हुए खफा
बता दें कि जब प्रिंस तुसी ने अजान का विरोध किया तो हंगामा हो गया। मामला बढ़ने पर सुरक्षा कर्मियों को बुला लिया गया। मुगलिया वंशज प्रिंस तुसी इस प्रकरण से काफी रुष्ट हैं और उनका कहना है कि अजान वहां होती है जहां नमाज पढ़ी जाती है। यहां नमाज नहीं होती और नियमानुसार केवल फातिहा पढ़ी जाती है। उन्होंने इंतजामिया कमेटी को बिल्कुल अवैध बताते हुए इसकी शिकायत डीजी पर्यटन समेत तमाम अधिकारियों से करने की बात कहीं है।