भूमि अधिग्रहण बिल राज्यसभा में पास, नीतीश के सपनों पर लग सकता है ग्रहण
नयी दिल्ली। मंहगाई और भ्रष्टाचार की मार झेल रही केन्द्र की यूपीए सरकार के आमागी चुनावों में जनता के पास जाने के लिए दो वजहें हो गई है। सोनिया का सपना पहले ही पूरा हो गया और राहुल के ड्रीम प्रोजेक्ट भूमि अधि ग्रहण बिल को भी संसद में मंजूरी मिल गई है। लेकिन सोनिया और राहुल के इस सपने से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सपनों पर ग्रहण लग सकती है।
दरअसल केन्द्र सरकार के भूमि अधिग्रहण बिल का सीधा असर बिहार में बन रहे आईआईटी पर पड़ने जा रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटना के नजदीक बिहटा को एजुकेशनल हब बनाने के लिए यहां जो जमीन अधिग्रहण किया था उस पर फिर से किसान और मुआवजे की मांग करते हुये अनशन पर बैठ गये हैं। बिहटा को एजुकेशन हब बनाना नीतीश के सबसे बड़ा सपना है, लेकिन केन्द्र सरकार की भूमि अधिग्रहण बिल उनके इस सपने पर ग्रहण लगा सकता है।
बिहार सरकार ने जिन किसानों से जमीन ली उनकी मांग है कि एक परियोजना के लिए अधिग्रहण किए गये जमीनों को एक जैसा मुआवजा मिलना चाहिए। किसानों के अनशन के बाद से जहां का काम रुका हुआ है। किसानों की मांग है कि सरकार ने उनसे जो जमीन ली है उसका मुआवजा एक जैसा होना चाहिए।
जहां नीतीश सरकार की मुश्किलें बढ़ गई है तो वहीं कांग्रेस खुश है। संसद के उच्च सदन राज्यसभा ने भूमि अधिग्रहण विधेयक को पारित कर दिया। राज्यसभा में विधेयक के कुछ प्रावधान संशोधित होने के कारण इसे एक बार फिर से लोकसभा से पारित कराना होगा। दोनों सदनों से पारित होने के बाद राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह ब्रिटिश हुकूमत के समय 1894 के भूमि अधिग्रहण कानून की जगह लेगा। 'उचित मुआवजा और भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास एवं पुनस्र्थापन में पारदर्शिता का अधिकार विधेयक, 2012' को लोकसभा ने 29 अगस्त को ही मंजूरी दे दी थी।