'आखिर कब तक एक ही परिवार की माला जपेंगे पीएम साहब'
मोदी अपने चिरपरिचित शैली में ही देश को संबोधित किया। लाल रंग की पगड़ी पहने मोदी ने पहले गुजरात के महान विभूतियों को याद किया और उनका देश के प्रति किये गये असीम योगदान की सराहना की,उन्होंने सरदार बल्लभ भाई पटेल को कोटि-कोटि प्रणाम किया।
उसके बाद उनका हमला शुरू हुआ देश के ऱाष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के राष्ट्रके नाम दिये गये संदेश पर। जिसमें उन्होंने कहा था कि सहनशक्ति की भी एक सीमा होनी चाहिए। मोदी ने कहा कि वह किस तरह की सहनशक्ति की बात कर रहे हैं। देश में भ्रष्टाचार पर भ्रष्टाचार हो रहे हैं लेकिन प्रणब मुखर्जी क्यों संयम रखे हुए हैं आखिर वह क्यों कोई एक्शन नहीं लेते हैं।
जिस तरह से टीवी-सीरयल में रोज नये नये शो आते हैं उसी तरह से यूपीए की सरकार में रोज भ्रष्टाचार की सीडी आती है। हाल ही में मामा-भांजे की भ्रष्टाचार की सीडी ने धमाल मचाया था तो अब सास और दामाद की सीडी मार्केट में आयी है। वह क्यों चुप हैं।
इसके बाद उन्होंने मनमोहन सिंह के लालकिले के भाषण पर आपत्ति जताई और कड़ी निंदा की। मोदी ने कहा कि मनमोहन सिंह के भाषण ने उन्हें काफी दुखी किया। मोदी ने कहा कि मैं आज आध्यात्म के इस पावन पर्व में वह लालकिले पर केवल एक परिवार को स्मरण कर रहे थे, उन्हें शर्म नहीं आयी कि वह आज लालकिले से चाटुकारिता छोड़ सकते थे। वह सरदार बल्लभ भाई पटेल का नाम ले सकते थे, वह लाल बहादुर शास्त्री का भी नाम ले सकते थे लेकिन आप एक परिवार की भक्ति में इस कदर डूब गये हैं कि उन्हें देश की कोई चिंता नहीं हैं।
मोदी ने मनमोहन सिंह को ललकारते हुए कहा कि अगर हिम्मत है तो वह गुजरात और दिल्ली का मुकाबला करवा लें। वह क्यों नहीं अपनी सोच से देश का विकास कर रहे हैं। मोदी ने कहा कि कमियां काम में हो सकती है लेकिन सोच में नहीं और इरादों में नहीं आप की सोच में कमी है। मोदी ने कहा कि मनमोहन सिंह को तो मीडिया ने भी कह दिया है कि इस बार आखिरी बार झंडा फहरा रहे हैं। मुझे शर्म औऱ दुख महसूस होता है कि देश के पीएम केवल रटी-रटाई बातों को ही दोहराते हैं। ना तो उनके पास आंतकवाद का जवाब है , ना तो उनके पास गरीबी का और ना ही कोई नयी सोच है। बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी से देश सिसक रहा है लेकिन आप अपने मौन व्रत से बाहर नहीं निकल रहे हैं।
मोदी ने कहा कि आज सरकार थाली में रोटी-चावल गिना रहे हैं लेकिन जरा यह बताइये कि पिछले दस साल से उन्हें रोटी की चिंता नहीं हुई। उन्होंने देश की सेना के बारे में कुछ भी नहीं कहा। उन्होंने कहा कि देश में उन्होंने यूनिवर्सिटी और शिक्षा के क्षेत्र में काफी योगदान दिया है तो उन्होंने गुजरात का नाम क्यों नहीं लिया? मेरी आवाज देश की जनता सुनती है लेकिन दिल्ली नहीं। आज भी पावन पर्व पर उन्होंने ना तो कमला नेहरू का नाम लिया और ना ही पटेल का जिन्होंने जीवन भर कांग्रेस के लिए काम किया आखिर कब तक वह एक ही परिवार का गुणगान करते रहेंगे क्यों नहीं वह देश के बारे में सोच रहे हैं? अफसोस के साथ आज कहता हूं कि देश आज भी गुलाम है।
मोदी ने आज गुजरात को विकासीत राज्य का अग्रणी प्रदेश बताते हुए कहा कि आज मैंने अपेन प्रदेश को 7 जिलों की सौगात दिया है। गुजरात जैसी तरक्की पूरे देश को जरूरत है। आज वक्त आ गया है कि देश कांग्रेस मुक्त होकर नयी सोच के साथ आगे बढ़े।