'दुर्गा' की शक्ति से होगा 'महिषासुर' मुलायम का राजनीतिक वध!
[रामलाल जयन] उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश सरकार द्वारा ईमानदार आईएएस अधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल के निलंबन को लेकर विभिन्न राजनीतिक दल अपने तरीके से प्रदेश में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन बेपरवाह सरकार अपने फैसले को जायज ठहराने में तुली हुई है। इस बीच बुंदेलखंड़ के महिला जन संगठन भी ‘इंसाफ' की इस जंग में कूद पड़े हैं। संगठनों की नजर में ‘दुर्गा' की शक्ति को मुलायम जैसे ‘महिषासुर' कमजोर नहीं कर पाएंगा और लोकसभा चुनाव में उनका ‘राजनीतिक वध' होना निश्चित है।
यह पहला मौका है कि जब देश के राजनीतिक दल और आम जनता किसी भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी को इंसाफ दिलाने के लिए एक स्वर से आवाज बुलंद कर रहे हैं, शायद इसके पीछे अधिकारी का आईएएस या महिला होना नहीं, बल्कि ‘ईमानदार' होना है। देश के लोग अखिलेश यादव सरकार का यह तर्क मानने को तैयार नहीं है कि ‘बिना नियमों का पालन किए दुर्गा शक्ति नागपाल ने एक मस्जिद की दीवार गिरवा दी, जिससे सामाजिक सौहार्द्र बिगड़ने की आशंका थी।'
चूंकि राज्य मंत्री के ओहदे वाले नरेन्द्र भाटी ने एक सार्वजनिक जनसभा में नागपाल का निलंबन 41 मिनट में करवाने की बात कह चुके हैं। भाटी के बयान का न तो सपा ने खंडन किया और न ही उनके खिलाफ कोई कार्रवाई ही की, जिससे साफ जाहिर है कि ‘भाटी सच बोल गए।' दुर्गा नागपाल के मामले में समाजवादी पार्टी (सपा) समूचे देश में फजीहत झेल रही है, फिर भी नागपाल के लिए ‘इंसाफ' अभी काफी दूर है।
कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) व वाम दलों के अलावा कई गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) भी दुर्गा शक्ति नागपाल के पक्ष में खड़े हो गए हैं, अब यह मामला धीरे-धीरे अन्ना हजारे के जन लोकपाल के आन्दोलन का रूप ले रहा है। बुंदेलखंड में कई सामाजिक संगठन अखिलेश सरकार की तीखी आलोचना कर रहे हैं।
‘नागिन गैंग' और ‘कोबरा' गैं बोले
महिला जन संगठन ‘नागिन गैंग' और ‘कोबरा' की चीफ कोआर्डीनेटर शीलू ने कहा, "उनके जन संगठन नागपाल के संघर्ष में बराबर के भागीदार हैं, सरकार का कदम ‘ईमानदारी' को दफन करने वाला है।' उन्होंने कहा कि ‘पूरा देश नागपाल को ‘ईमानदार' बता रहा है लेकिन सरकार के मुखिया अखिलेश यादव को खुद मुलायम सिंह भी अब तक ईमानदार नहीं बता पाए। उत्तर प्रदेश महिलाओं की सहानुभूति नागपाल के साथ है, इसलिए ‘दुर्गा' की शक्ति को ‘महिसासुर' कमजोर नहीं कर पाएगा और आगामी लोकसभा चुनाव में उसका ‘राजनीतिक वध' होना निश्चित है।"
गुलाबी गैंग की हुंकार
गुलाबी गैंग की वाइस चीफ कमांडर सुमन सिंह चैहान का कहना है कि ‘अखिलेश यादव ने खनन माफियाओं को लाभ देने और एक समुदाय विशेष के लोगों को खुश करने के लिए ईमानदार अधिकारी नागपाल की बलि चढ़ाई है। जिसका खामियाजा सपा को लोकसभा चुनाव में भोगना पड़ेगा।'
‘बेलन गैंग' की कमांडर
एक अन्य महिला संगठन ‘बेलन गैंग' की कमांडर पुष्पा गोस्वामी ने कहा कि ‘प्रचंड़ बहुमत के भ्रम में अखिलेश सरकार ‘जायज' और ‘नाजायज' की परिभाषा ही भूल गई है।' इन्होंने कहा कि ‘उनका सेगठन नागपाल के पक्ष में सपा सुप्रीमों मुलायम सिंह यादव का बुंदेलखंड़ की धरती में जबर्दस्त विरोध करेगा।'
राजनीतिक विश्लेषक
वामपंथी विचारधारा के राजनीतिक विश्लेषक रणवीर सिंह चैहान का कहना है कि ‘किसी भी सरकार के इस तरह के कदम से निश्चित तौर पर जन कल्याण प्रभावित होता है और जंगलराज कायम होता है।' वह कहते हैं कि ‘अखिलेश सरकार को नागपाल का निलंबन तत्काल वापस ले लेना चाहिए, जिससे आमजन मानस में सरकार की छवि बनी रहे।'
इंसाफ की जंग
कुल मिलाकर आईएएस अधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल से शुरू हुई इंसाफ की जंग में जीत किसकी होगी? यह तो भविष्य ही बताएगा, लेकिन इतना जरूर है कि इस मामले में जहां नागपाल को देश के वशिंदों की सहानुभूति मिल रही है, वहीं अखिलेश सरकार की किरकिरी भी हो रही है।