20 हजार करोड़ की विरासत, हीरे जवाहरात की मालकिन बनीं महाराजा की बेटियां
चंडीगढ़। पंजाब की फरीदकोट रियासत का फैसला हो गया है। 21 सालों से चल रहे इस विवाद से अब पर्दा उठ गया है। रियासत के आखिरी राजा हरिंदर सिंह बराड़ की 20 हजार करोड़ की संपत्ति अब उनकी दोनों बेटियों के नाम कर दिया जाएगा। कोर्ट के फैसले के बाद महाराजा की संपत्तियों पर अब उनकी बेटियों का अधिकार होगा। चंडीगढ़ की एक अदालत के फैसले के बाद महाराजा हरिंदर सिंह बराड़ की इस अकूत दौलत को उनकी दोनों बेटियों में बांटने का आदेश दिया है।
कोर्ट ने राजा की उस वसीयत को फर्जी करार दिया जिसके मुताबिक उनकी चल अचल संपत्ति एक ट्रस्ट के हवाले कर दी गई थी। कोर्ट के फैसले के बाद राजा की संपत्ति की मालिक उनकी दोनों बेटियों के बीच बराबर तौर से बांटा जाएगा। फरीदकोट के शाही परिवार की ऐसी संपत्ति देशभर में फैली हुई है।
इस विरासत में चंडीगढ़ के मनीमाजरा में 4 एकड़ में फैला साढ़े 3 सौ साल पुराना किला, हिमाचल के शिमला के नजदीक मशोबरा में 250 बीघा में फैली जमीन-जायदाद, शाही ठाठ की प्रतीक 18 विंटेज कारें। मुंबई के चार्टर्ड बैंक की कस्टडी में रखे करीब 1 हजार करोड़ रुपए के जेवरात, दिल्ली के इंडिया गेट के पास बना खरीदकोट हाउट जिसका मासिक किराया 17 लाख रुपए है। इसके अलावा 10 एकड़ में फैला फरीदकोट का किला, जिसकी कीमत करोड़ों में है।
गौरतलब है कि 1989 में जब महाराज हरिंदर सिंह की मौत हुई तो एक वसीयत सामने आई जिसमें ये दावा किया गया कि महाराजा की संपत्ति से उनकी मां, पत्नी और बेटियों का कोई हक नहीं है और इस पूरी संपत्ति को एक ट्रस्ट के हवाले किया जाए। इस ट्रस्ट के सदस्य महाराज हरिंदर सिंह के मुलाजिम थे। महाराज के इस वसीयत को चुनौती देते हुए उनकी बड़ी बेटी अमृतपाल कौर ने 1992 में अदालत का दरवाजा खटखटाया और 21 साल के लंबे इंजतार के बाद उन्हें अपने पिता की संपत्ति में हक मिला।
वहीं कोर्ट के फैसले के बाद ट्रस्ट के मालिक और महाराज के मुलाजिम गुरुदेव सिंह को ये फैसला रास नहीं आया। उनका दावा है कि महाराज हरिंदर सिंह ने पूरे होश-ओ-हवास में वसीयत लिखी थी और उसे ट्रस्ट के हवाले किया था। लिहाजा कोर्ट का फैसला उसे रास नहीं आ रहा और वो कोर्ट के फैसले को उपरी अदालत में चुनौती देने का मन बना रहे हैं।