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नेतागिरी का सच: जितना बड़ा क्रिमिनल रिकॉर्ड, उतनी ज्यादा संपत्ति

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criminal minister
नयी दिल्ली। कहते है राजनीति में बल और पैसे के दम पर चलती है। अगर सियासत में अपना सिक्का जमाना है तो ताकत और पैसा दोनों अहम है। जानकारों की माने तो धन और बल से न सिर्फ इलेक्शन जीते जा सकते हैं बल्कि राजनीति में अच्छी-खासी कमाई भी की जा सकती है। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स के एक सर्वे के मुताबिक भारतीय राजनीति में कुछ राजनेताओं ने 10 साल के अंदर अपनी संपत्ति में 100 फीसदी का इजाफा किया है। एडीआर देवारा पेश किए गए आंकड़ों के मुताबिक पिछले 10 सालों में 62,847 उम्मीदवारों के पास औसतन 1.37 करोड़ की संपत्ति थी लेकिन वे उम्मीदवार जिन्होंने चुनाव जीते उनके पास 3.83 करोड़ यानी औसत से कहीं ज्यादा संपत्ति थी।

खास बात ये की एडीआर ने अपनी इस स्टडी में हजारों राजनेताओं को शामिल किया और 10 सालों के अपने अध्ययन के बाद ये विश्लेषण पेश किया है। इस स्टडी के मुताबिक 10 सालों में इन नेताओं की संपत्ति में सौ फीसदी का इजाफा हुआ। वहीं जिन विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामले थे, उनकी संपत्ति 4.30 करोड़ हो गई। स्टडी के मुताबिक जिन सांसदों और विदायकों पर हत्या, अपहरण और रेप जैसे गंभीर मामले थे, उनकी औसतन संपत्ति सर्वाधिक तेजी से बढ़ी और 4.38 करोड़ हो गई।

एडीआर द्वारा पेश किए आंकड़े के मुताबिक 2004 से लेकर अब तक 62,847 उम्मीदवारों में से 11,063 उम्मीदावरों के खिलाफ कोई ना कोई अपराधिक मामला चल रहा है। जिनमें से 5,253 उम्मीदवारों के खिलाफ गंभीर मामले चल रहे थे। आपराधिक रेकॉर्ड वाले इन उम्मीदवारों की संपत्ति में इलेक्शन जीतने के बाद कई गुना इजाफा हुआ है। ऐसे 4181 उम्मीदवारों की संपत्ति औसतन 1.74 करोड़ रुपए से बढ़कर 4.08 करोड़ रुपए हो गई।

एडीआर के प्रफेसर त्रिलोचन शास्त्री की माने तो पैसा चुनावों में बड़ी भूमिका निभाता है और अपराधीकरण से मामला बदतर ही होता है। इस स्टडी में दिखाया गया है कि 1072 उम्मीदवार ऐसे थे जिनपर क्रिमिनल केस चल रहे थे और वे पहली बार इलेक्शन लड़े थे जबकि 788 ऐसे मामले भी थे जहां क्रिमिनल केस झेल रहे उम्मीदवार दूसरी बार इलेक्शन लड़े थे। इस अध्ययन के मुताबिक 2004 से शिवसेना के 75 फीसदी एमपी और एमएलए, राष्ट्रीय जनता दल के 46 फीसदी, जनता दल के 44 फीसदी जबकि कांग्रेस के 22 फीसदी और बीजेपी के 31 फीसदी उम्मीदवारों ने अपने खिलाफ क्रिमिनल केस होने की घोषणा की थी।

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English summary
An analysis of self-sworn affidavits of the candidates by ADR and NEW has found that wealth of 317 candidates, who re-contested the elections, had grown by over 1,000 per cent.
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