इंटरनेशनल फुटबाल टूर्नामेंट में हिस्सा लेंगे सेक्स वकर्स के बेटे
कोलकाता। देश के युवा प्रतिभाशाली फुटबाल खिलाड़ियों सूरोजित भट्टाचार्य और बिश्वजीत नंदी का सपना सच होने जा रहा है। दोनों युवा खिलाड़ी कोलकाता में रहने वाली यौनकर्मियों के बेटे हैं, तथा अगले महीने पोलैंड में 'होमलेस विश्वकप' टूर्नामेंट में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। पांच वर्षो के कठिन प्रशिक्षण और चारो तरफ से मिले प्रोत्साहन के बल पर दोनों 18 वर्षीय खिलाड़ियों की मेहनत रंग ले आई है। इस टूर्नामेंट में कुल 64 देश हिस्सा ले रहे हैं। सभी देशों को चार-चार के ग्रुप में विभाजित किया गया है।
एशिया के सबसे बड़े रेड लाइट इलाकों में से एक कोलकाता के सोनागाछी में रहने वाले दोनों युवा कोलकाता से 25 किलोमीटर दूर बरुईपुर के राहुल विद्या निकेतन की पहल एवं मेहनत का नतीजा हैं। खेल एवं अन्य पाठ्येत्तर सुविधाएं उपलब्ध कराने वाला यह केंद्र एक यौनकर्मियों के अधिकारों एवं कल्याण के लिए काम करने वाले गैर सरकारी संगठन 'दरबर महिला समन्वय समिति' (डीएमएससी) की पहल पर स्थापित किया गया है। पश्चिम बंगाल के 24 परगना जिले में ताम-झाम रहित इस केंद्र की स्थापना जन्म से ही समाज का कलंक समझे जाने वाले यौनकर्मियों के बच्चों को संपूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से की गई है।
केंद्र के खेल प्रशिक्षक विस्वजीत मजूमदार ने बताया कि वे दोनों मुझसे पिछले पांच वर्षो से प्रशिक्षण ले रहे थे, तथा साधन संपन्न पृष्ठभूमि से आने वाले बच्चों से कहीं ज्यादा प्रतिभावान थे। उन्हें एक बेहतर जीवन के बारे में सोचने के लिए सबसे अधिक जरूरत प्रोत्साहन की थी। इससे पहले मजूमदार कोलकाता लीग में र्आयस और वारी जैसी टीमों को प्रशिक्षण दे चुके हैं। पोलैंड में भारतीय टीम के लिए चुने गए ये दोनों युवा खिलाड़ी वीजा के साक्षात्कार के लिए इस सप्ताह में आगे दिल्ली जाएंगे। नागपुर में सात दिनों तक चले अभ्यास शिविर के दौरान चुनी गई भारतीय टीम के अन्य सदस्यों के साथ वे दो अगस्त को रवाना होंगे।
पिछले वर्ष मेक्सिको में हुए 'होमलेस विश्वकप' में सुरोजीत के हिस्सा लेने को याद करते हुए मजूमदार ने कहा कि समाज के वंचित तबकों से आने वाले बहुत कम लोग विदेश जाने के बारे में सोच पाते हैं। जबकि हमारे छात्रों ने लगातार देश को गौरवान्वित किया है। डीएमएससी की सचिव भारती डे ने कहा कि यह अवसर उनके जीवन में बड़े बदलाव का मौका देगा। डे ने कहा कि विद्यालय उनके अंदर छिपी प्रतिभा को निखारने का जरिया है। विद्यालय चलाने के लिए दान देने वाले सभी लोगों और हमारे संचालकों का आभार, हम इसे पिछले तीन वर्षो से संचालित कर रहे हैं। विद्यालय में स्थानीय बच्चे यौनकर्मियों के बच्चों के साथ ही पढ़ते हैं, तथा खेलकूद के दौरान वे किसी यौनकर्मी के बेटे जैसे नहीं बल्कि दूसरे सामान्य बच्चों की तरह ही दिखते हैं। (आईएएनएस)