नरेंद्र मोदी के भाषण में अटल-कलाम की झलक
[नवीन निगम] आप से यदि पूछा जाए कि एनडीए के शासनकाल में दो ऐसे लोगों का नाम लीजिए जो अपने पद से भी आगे निकल गए हो तो आपका एक ही जवाब होगा। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी और पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम। इसे इत्तेफाक कहें या कुछ और। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण में इन्हीं दोनों की झलक दिखाई देती है।
नरेंद्र मोदी जब आज पुणे के फार्ग्युसन कॉलेज के छात्र-छात्राओं को संबोधित कर रहे थे तो आपने उनके अंदाज में कलाम वाली छवि और विचार नहीं देखे। भाषण में मोदी, अटल को और बातों में कलाम को फॉलो करते दिखाई पड़े। युवा शक्ति में देश को आगे बढऩे की ताकत हैं, खोज की बातें, विकसित देश बनाने का सपना। भाषण में अटल की तरह लोगों को मंत्रमुग्ध करना जैसे कोई राजनेता नहीं, कोई संत बोल रहा हो। ज्ञात हो कि कलाम और अटल ने 2002 के दंगों के समय मोदी को मुख्यमंत्री पद से हटाने का विचार तक किया था और आज उन्ही दो महापुरुषों के गुणों को मोदी अपने अंदर समेट रहे हैं।
मोदी को मालूम है कि देश का युवा निराश है और वह आगे बढऩा चाहता है। बातों का असर कितना होता है यह मैं एक उदाहरण से देना चाहता हूं। मेरे एक मित्र हैं। मुसलमान हैं इसलिए मोदी को पसंद नहीं करते। एक दिन बातों ही बातों में मुझसे बोले ...निगम, सत्य तो यह है कि हमको सभी राजनीतिक दलों ने ठगा है। हम भाजपा के खिलाफ जीतने वाले को वोट देते रहते हैं, तुम लोग अच्छे हो किसी से डरकर तो वोट नहीं देते हो। मैंने उन्हें समझाने के अंदाज से कहा यह तो ठीक है लेकिन इसमें आपकी क्या गलती है। उन्होंने कहा ...तुम कुछ भी सोचो, लेकिन मोदी में कोई बात तो है, जो गुजरात इतना आगे निकल गया।
मैं आश्चर्य में था, वह कहने लगे, अभी थोड़े दिनों पहले भाई के पास बडौदा गया था, वहां की सड़के देखी, दिल खुश हो गया। युसुफ से बात की तो पता चला कि उसकी फैक्टरी में उत्पादन तीन गुना हो गया है। अभी नई गाड़ी खरीदी है और दूसरी फैक्टरी भी डाल रहा है। इस उदाहरण को लोग मोदी की तारीफ में न ले, यह केवल एक वाक्या था, हो सकता है कि युसुफ दिमागदार हों और अपनी मेहनत से आगे आए हों, लेकिन मित्र की बात सुनकर मैं हैरत में तो था कि मोदी के बारे में कोई मुसलमानों की मानसिकता अब बदल रही है।
मुश्किल में विरोधी दल
इस बात का जिक्र मैंने यहां इसलिए किया क्योंकि जब पुणे के सेमिनार में मोदी युवाओं के सपने की बात कर रहे थे तो ऐसा नहीं कि इसे केवल हिंदू युवा ही सुन रहा था। अपने को सेक्यूलर कहने वाली पार्टियां अगर मोदी के इस विचार की काट नहीं निकाल पाईं तो उनके लिए आने वाला चुनाव मुश्किलें ला सकता हैं।
कलाम को आगे किया था मुलायम ने
याद कीजिए अब्दुल कलाम का नाम राष्ट्रपति के लिए मुलायम ने आगे किया था उसमें मुलायम की कलाम को अल्पसंख्यक समझने की सोच भी थी, लेकिन राष्ट्रपति बनने के बाद कलाम सभी के दिलों में छा गए। इसीलिए उन्हें दुबारा राष्ट्रपति बनाने के लिए जब नाम सामने आया तो सबसे पहले भाजपा ने हामी भरना शुरू किया था क्योंकि वह जान चुकी थी कि कलाम को उनका मतदाता दिल से चाहता हैं।
क्या काट निकाल पायेंगे विरोधी
इसलिए मोदी के खिलाफ लडऩे वालों को मोदी की चालों की काट निकालनी होगी, नहीं तो चुनाव के बाद उन्हें कई प्रकार के अफसोस करने पड़ेंगे।
जिताने की शक्ति सिर्फ युवाओं में
जब अखिलेश ने यूपी में नौजवानों को लैपटॉप और बेरोजगारी भत्ता देने की बात कही थी तो भाजपा और बसपा जैसी पार्टियां इसकी खिल्ली उड़ाती थी लेकिन चुनाव परिणामों ने दिखा दिया कि युवा चुनाव में नतीजे बदलने की कितनी शक्ति रखता है।
इतनी तरजीह तो महमोहन को नहीं मिलती
मोदी का भाषण सुनिए तो लगेगा कि वो देश को कल्पनाओं से भी आगे ले जाने की बात कर रहे हैं। हां यह अलग बात है कि उनकी हाईटेक राजनीति का चरण शुरू हो गया है। वह एक जगह बोलते है और टीवी चैनल एक साथ उन्हें पूरे देश में प्रसारित कर देते हैं और फिर उसपर चल पड़ती है बहस। इतनी तरजीह तो प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का भी नहीं मिलती है।