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..तो बसपा के खिलाफ 'विभीषण' बनेगा कुशवाहा का कुनबा!

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Babu Singh Kushwaha's wife, brother join SP
लखनऊ। करोड़ों रुपये के राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) घोटाले में गाजियाबाद की डासना जेल में बंद मायावती सरकार में कद्दावर मंत्री रह चुके बाबू सिंह कुशवाहा के कुनबे को अंगीकार करने से सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी (सपा) को आगामी लोकसभा चुनाव में कितना फायदा होगा, यह तो भविष्य बताएगा। लेकिन, उसे बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के खिलाफ बुंदेलखंड में एक मजबूत 'विभीषण' जरूर मिल गया है, जो 'बसपा की लंका' ढहाने में सहायक हो सकता है।

वैसे बुंदेलखंड के बांदा जिले के पखरौली गांव के रहने वाले रामचरन कुशवाहा उर्फ बाबू सिंह की छवि शुरू से ही दागदार रही है। जमीनी राजनीति से परे बाबू सिंह हमेशा 'जुगाड़' के जरिए आगे बढ़े और बसपा के कई जमीनी नेताओं के लिए 'मुसीबत' भी बने। बसपा के जिलाध्यक्ष रहते हुए बाबू सिंह के खिलाफ उन्हीं की पार्टी के बबेरू के पूर्व विधायक (अब विधायक नरैनी और विधानसभा में बसपा विधायक दल के उपनेता) गयाचरण दिनकर ने वर्ष 1995 में बांदा जिले में चल रही आईआरडी और स्पेशल कम्पोनेंट योजना में धांधली की मजिस्ट्रेटी जांच कराई तो बतौर फर्नीचर डीलर बाबू सिंह एक बैंक दलाल के रूप में उभरे।

बाबू सिंह के खिलाफ विभिन्न थानों में कई प्राथमिकी (एफआईआर) भी दर्ज हुई, मगर उस समय नसीमुद्दीन सिद्दीकी 'ढाल' साबित हुए और उन्हें मायावती के बंगले में 'फोन अटेंड' करने की सेवा में रखवा दी। जिसकी वजह से गयाचरण दिनकर या पुलिस के लोग कुशवाहा का कुछ नहीं बिगाड़ पाए और उन्होंने मायावती के 'बाबू' से कद्दावर मंत्री तक का दमदार सफरनामा तय किया। उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ सपा दागदार बाबू सिंह के कुनबे को अंगीकार कर आज भले ही कहे कि पिछड़ों में बाबू सिंह की अच्छी पकड़ है, लेकिन विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाने के बाद भी वह अपने प्रभाव वाली एक भी सीट नहीं जिता पाए और भाजपा की जो छीछालेदर हुई, वह अलग।

राजनीतिक विश्लेषक और वामपंथी विचारधारा के वरिष्ठ अधिवक्ता रणवीर सिंह चौहान कहते हैं, "बाबू सिंह की जमीनी पकड़ इतनी कमजोर है कि वह अपने गांव में ग्राम प्रधान का चुनाव नहीं जीत सकते।" वह कहते हैं, "भाजपा में शामिल होने पर यही सपा बाबू सिंह को लेकर हमलावर थी, लेकिन अब उसके कुनबे को अपने साथ जोड़कर मुलायम सिंह दिल्ली की गद्दी संभालने के सपने देख रहे हैं।" बकौल चौहान, "सपा के लिए बाबू सिंह कोई नया चमत्कार तो नहीं दिखा सकते, अलबत्ता वह बुंदेलखंड में बसपा के खिलाफ 'विभीषण' की भूमिका जरूर निभा सकते हैं।"

उत्तर प्रदेश विधानसभा में बसपा विधायक दल के उपनेता और नरैनी के विधायक गयाचरण दिनकर कहते हैं, "सपा हमेशा गुंडों व बवालियों के कंधों पर चढ़ कर आगे बढ़ी है। बाबू सिंह बसपा के 'रिजेक्ट माल' हैं। विधानसभा चुनाव में भाजपा ने स्वाद चखा, अब लोकसभा चुनाव में सपा चखने जा रही है।" सपा के बांदा जिलाध्यक्ष शमीम बांदवी खुल कर पार्टी हाई कमान के खिलाफ बोलने से कतरा रहे हैं। उन्होंने कहा, "यह सच है कि बाबू सिंह की बदौलत आगामी चुनाव में फायदे के आसार कम हैं, फिर भी हाई कमान के फैसले को नकार नहीं सकते।"

उन्होंने यह भी जोड़ा कि "सपा ने बाबू सिंह को नहीं, बल्कि उनकी पत्नी सुकन्या और भाई शिवशरण कुशवाहा को पार्टी में शामिल किया है। इन दोनों पर किसी प्रकार के आरोप नहीं हैं।" कांग्रेस के बांदा जिलाध्यक्ष साकेत बिहारी मिश्र कहते हैं, "सपा में शामिल होने पर जहां बाबू सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार के खुलने वाले अन्य मामलों में विराम लगेगा, वहीं सत्तारूढ़ दल को एक जाति विशेष का वोट मिलने की उम्मीद है।" भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बांदा जिलाध्यक्ष बालमुकुंद शुक्ला बाबू सिंह को 'अपशकुन' मानते हैं। उन्होंने कहा, "बाबू सिंह की कूबत हमने विधानसभा चुनाव में देख लिया है।

चुनाव के ऐन वक्त पार्टी में शामिल किए जाने से बुंदेलखंड में विधानसभा की आधा दर्जन जीती हुई सीटें हम हार गए।" राजनीतिक हल्कों में स्पष्ट राय यही है कि बाबू सिंह के कुनबे से सपा को कोई प्रत्यक्ष लाभ तो नहीं होने वाला है। लेकिन, चूंकि वह मायावती के अत्यंत करीबी और विश्वसनीय रहे हैं, लिहाजा वह माया के खिलाफ 'विभीषण' की भूमिका जरूर अदा कर सकते हैं। (आईएएनएस)

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English summary
Wife and brother of Babu Singh Kushwaha, the tainted former BSP minister and prime accused in the multi-crore-rupee NRHM scam, joined the Samajwadi Party on Saturday.
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