उत्तराखंड: नरेंद्र मोदी को रोक कर भी रैम्बो नहीं बन पाये राहुल गांधी
देहरादून। उत्तराखंड में आये पहाड़ी सुनामी के 8 दिन बाद उत्तराखंड पहुंचे राहुल गांधी ने प्रभावित इलाकों का हवाई दौरा किया और फिर राहत कैम्पों में भी गये। लेकिन फिर भी वो नरेंद्र मोदी की तरह रैम्बो नहीं बन पाये। और शायद बन भी नहीं पायेंगे। यहां पर हम याद करेंगे 3 इडियट्स फिल्म में वायरस के उस डॉयलॉग को, जिसमें कहा गया है कि नो वन रिमेम्बर सेकेंड। बस यही हाल कुछ राहुल गांधी का है। फर्क इतना है कि राहुल गांधी खुद कुछ गलत नहीं करते, उनके साथियों की वजह से उनसे गलतियां हो जाती हैं।
उत्तराखंड जल सैलाब की बात करें तो जिस समय राहत कार्य जोरों पर था। लोग अपनी जिंदगी के लिये दुआ मांग रहे थे। उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री अपनी टीम के साथ आये और करीब 15 हजार गुजरातियों को निकाल ले गये। उनके इस कार्य के लिये मीडिया ने उन्हें रैम्बो का खिताब दिया। जिस समय यह सब हुआ, उस समय राहुल गांधी विदेश में छुट्टी मना रहे थे। आते ही उन्होंने उत्तराखंड का रुख किया और वहां के लोगों से मिलने का सिलसिला शुरू हो गया। यहां तक सब ठीक था, लेकिन गलती तब हुई, जब उन्हें राहत कैम्पों तक जाने से नहीं रोका गया। जिस जगह पर जाने से प्रशासन ने मोदी को रोक दिया था, वहां तक राहुल गये।
गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने तर्क दिया है कि तब हालात खराब थे, इसलिये मोदी को रोका गया अब हालात बेहतर हैं, इसलिये राहुल को जाने दिया। यहां हम शिंदे से पूछना चाहेंगे कि जब 8000 लोग पहाड़ों के बीच फंसे हुए हैं, तो हालात बेहतर कैसे हो सकते हैं। पीडि़तों की संख्या चाहे 8 हजार हो या 22 हजार, या फिर एक। हर जिंदगी कीमती है। अब वापस बात अगर राहुल गांधी की करें तो उनके लिये सरकारी नियम तोड़ना किसी बड़ी मुसीबत से कम नहीं। क्योंकि लोग कभी नहीं भूलेंगे। उत्तराखंड को वापस पटरी पर आने में अभी 3 साल लगेगा और लोकसभा चुनाव को 1 साल से भी कम रह गया है। लिहाजा इस घटनाक्रम का विपरीत असर राहुल के करियर पर हर हाल में पड़ने वाला है। यूं कहिये कि देश के लिये भले ही वो कुछ भी हों, लेकिन उत्तराखंड के लिये वो कभी रैम्बो नहीं बन पायेंगे।
राहुल-मोदी ही क्यों बॉलीवुड क्यों नहीं?
सोशल मीडिया हो या फिर मेन स्ट्रीम मीडिया, चारों तरफ राहुल गांधी और नरेंद्र मोदी को लेकर चर्चाएं गर्म हैं। लेकिन अभी तक किसी ने भी उस बॉलीवुड की तरफ उंगली नहीं उठायी, जो एक-एक फिल्म से करोड़ों रुपए पैदा करता है और उत्तराखंड के लिये एक पैसा अब तक नहीं निकला। अनुपम खेर और शत्रुघ्न सिन्हा को छोड़ कर बाकी के बॉलीवुड में शायद ही कोई होगा, जिसमें उत्तराखंड के लिये कोई भी महत्वपूर्ण योगदान दिया होगा। सच पूछिए तो उत्तराखंड को इस समय धन-बल से लेकर तमाम तरह की मदद की दरकार है।