आखिर कौन फंसा रहा है राजा भैया को?
मैंने
पहले
भी
लिखा
है
कि
भारतीय
राजनीति
के
लिए
राजा
भैय्या
जैसे
लोग
आदर्श
नहीं
है
लेकिन
परदे
के
पीछे
बैठकर
राजनीति
करने
वाला
वह
व्यक्ति
कौन
है
जो
राजा
भैय्या
को
इस
केस
से
बाहर
नहीं
आने
देना
चाहता।
यह
तो
तय
है
कि
यह
व्यक्ति
या
व्यक्तियों
का
समूह
बड़ी
राजनीतिक
हस्ती
है
और
राजा
भैय्या
को
इस
केस
से
बरी
न
होने
देने
के
पीछे
उसका
बड़ा
स्वार्थ
है।
क्या अगामी लोकसभा के चुनाव में राजा भैय्या को प्रतापगढ़ की सीट पर अपनेप्रभाव से दूर रहने के लिए यह चेतावनी दी जा रही है। सूत्र बताते है कि राजा भैय्या की सबसे बड़ी गलती यही है कि वह राजनीति में आने के बाद भी बाहुबलियों जैसा आचरण करते रहे इसीलिए उन्हें इस केस में जानबूझकर फंसाया जा रहा है।
जैसे
सैय्यद
मोदी
के
केस
में
संजय
सिंह
को
फंसाया
गया
था
और
उसके
बाद
उनका
राजनीतिक
कैरियर
लगभग
खत्म
हो
गया
था।
सूत्र
बताते
है
कि
नार्को
टेस्ट
की
इजाजत
तब
मिलती
है
जब
आरोपी
सहयोग
न
कर
रहा
हो
एकतरफ
तो
सीबीआई
के
अधिकारी
कह
रहे
है
कि
राजा
भैय्या
जांच
में
पूरा
सहयोग
कर
रहे
है
और
दूसरी
तरफ
वह
राजा
भैय्या
का
टेस्ट
कराने
पर
उतारु
है
उस
पर
भी
दलील
यह
दी
जा
रही
है
कि
राजा
भैय्या
खुद
चाहते
है
कि
उनका
नार्को
टेस्ट
हो
जाए।
क्या
नार्को
टेस्ट
के
दौरान
उनसे
राजनीतिक
सवाल
नहीं
पूछे
जाएंगे।
ज्ञात हो कि कुंडा के सीओ जियाउल हक की हत्या की जांच कर रहे सीबीआई विवेचक ने पूर्व मंत्री रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैय्या की उस अर्जी को अदालत में दाखिल किया है जिसमें उन्होंने स्वयं का नार्को पॉलीग्राफी टेस्ट कराए जाने की स्वीकृत दी है। विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट सीबीआई, मिर्जा जीनत ने इस अर्जी पर सुनवाई के लिए 11 जून की तिथि नियत की है।
अदालत के समक्ष विवेचक सुरेंद्र सिंह गुर्म ने प्रार्थना पत्र के साथ राजा भैया की उस अर्जी को संलग्न कर पेश किया है जिसमें कहा गया है कि इस मामले की विवेचना के दौरान सीबीआई द्वारा पूछताछ की गई है तथा वह हमेशा ही सहयोग करने को तैयार रहे हैं। इसके अलावा वह नार्को पॉलीग्राफी टेस्ट करवाने की स्वीकृत दे रहे हैं।