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अब देश के बड़े शहरों पर नक्सली हमले का खतरा!

By Ians Hindi
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नई दिल्ली/रायपुर। छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले की दरभा घाटी में कांग्रेस नेताओं के काफिले पर हमले का लहू अभी सूखा भी नहीं है, उधर केंद्रीय गृह मंत्रालय में चर्चा व्याप्त है कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकृष्ट करने के लिए नक्सली अब बड़े शहरों में बड़ी वारदात कर सकते हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय को यह सूचना नक्सलियों के बातचीत के टेप से मिली बताई जाती है।

भारत में आंध्र प्रदेश के तिरुपति से लेकर नेपाल में पशुपतिनाथ मंदिर तक रेड कॉरिडोर बन चुका है। इस कॉरिडोर में आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, झारखंड, बिहार और उत्तर प्रदेश एक पंक्ति में विद्यमान हैं। ओडिशा और मध्य प्रदेश के इलाकों में भी नक्सली धमक सुनी जाती है। यह निर्विवाद तथ्य है कि नक्सल प्रभावित राज्यों के कई बड़े शहरों और कस्बों में नक्सलवादियों के मददगार हैं, जिनसे उन्हें न सिर्फ सूचनाएं मिलती हैं, बल्कि चिकित्सा, रसद और प्रचार के माध्यम भी मिलते हैं। शहरों में कई ऐसे संगठन और तथाकथित बुद्धिजीवी, समाजसेवी हैं जो किसी न किसी आड़ में नक्सलवाद के समर्थक और पोषक बने बैठे हैं।

naxal

दो वर्ष पहले दिल्ली और मुंबई से भी नक्सली पकड़े जा चुके हैं। ऐसे में देश की राजधानी भी सुरक्षित नहीं है। देश की खुफिया प्रणाली को भेदकर सीमापार से आतंकवादी घुसे और उन्होंने संसद पर हमला किया, मुंबई में कहर बरपा डाला। जब सीमापार से घुसपैठ कर देश के हृदयस्थल को रौंदा जा सकता है तब देश के भीतर मौजूद संपोले क्या नहीं कर सकते?

रायपुर से ही विगत वर्षो में नक्सली समर्थक, कट्टर नक्सली, नक्सलियों का पत्रवाहक, बड़ी मात्रा में हथियार बरामद किए जा चुके हैं। ऐसे लोग आज आरोपों के दायरे में हैं जिनकी प्रतिष्ठा शहर के बौद्धिक जमात में थी। भिलाई में भी नक्सली मुठभेड़ हो चुकी है तो तालाब में हथियार भी मिल चुके हैं।

भाटापारा जैसे स्थान पर नक्सलियों के लिए वर्दी सिलने के काम का भंडाफोड़ हो चुका है। तब यह मानना होगा कि नक्सली शहरों को निशाना बना सकते हैं। रांची जेल ब्रेक और दंतेवाड़ा जेल ब्रेक की घटनाएं हमारे जेहन में ताजा है। ज्ञानेश्वरी रेल हादसे के बाद नक्सल प्रभावित इलाकों में रात्रिकालीन रेल परिचालन स्थगित रहा क्या यह नक्सल आतंक के उदाहरण नहीं है?

रायपुर के विधायक रेस्ट हाउस में नक्सली सीडी वितरित करने का मामला भी याद किया जा सकता है तो बैलाडिला के एनएमडीसी का कन्वेयर बेल्ट कई बार फूंका जा चुका है। इसलिए, यह स्वीकार करना चाहिए कि बड़े शहरों पर कभी भी नक्सली आतंक का तांडव कर सकते हैं।

अब जब इस बात की आशंका व्यक्त की जा रही है, तब आम जनता की सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था अभी से कर लेनी चाहिए। पुलिस को अब और ज्यादा चौकस रहने की जरूरत है तो आम शहरियों को भी सचेत रहने की आवश्यकता है। हमें अपने आसपास चौकस निगाह रखनी होगी। विशेष तौर पर बाहरी इलाकों, झुग्गी झोपड़ियों और श्रमिक बस्तियों पर पुलिस को कड़ी निगरानी की व्यवस्था करनी होगी।

भिलाई, दल्लीराजहरा और रायपुर के औद्योगिक क्षेत्रों में मुखबिरों का जाल बिछाकर अंदेशे को टाला जा सकता है। सिर्फ रात्रि गश्त से ही बात नहीं बनने वाली है, पुलिस को लगातार सक्रिय रहना होगा। आने वाले दिन राजनीति दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण और संवेदनशील होने वाले हैं। लिहाजा, न सिर्फ राजनीतिक कार्यकर्ताओं की, बल्कि आम नागरिकों की सुरक्षा के लिए ठोस रणनीति बनानी होगी। छत्तीसगढ़ के दरभा कांड से लोगों में अभी भी दहशत है, पुलिस का मनोबल गिरा हुआ है, शासन अकबकाया सा है, अब फिर से विश्वास का वातावरण कैसे कायम हो, यह तय करने का वक्त आ गया है।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

English summary
According to the latest report submitted to Home Ministry the big cities of many states inclusing MP, Chhattisharg and Orissa are on Naxal's target.
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