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सरबजीत सिंह की चिठ्ठियां पढ़ आप भी कोसेंगे भारत सरकार को

By Ajay Mohan
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नई दिल्‍ली (ब्‍यूरो)। पंजाब के अमृतसर के पास भिखिविंड में सरबजीत सिंह के अंतिम संस्‍कार की तैयारियां चल रही हैं। उन्‍हें राजकीय सम्‍मान के साथ विदाई दी जायेगी। पूरा गांव सरबजीत के घर पर एकत्र है, नेताओं से लेकर कई अधिकारी उनके घर पर पहुंच रहे हैं, लेकिन पीछे के कमरे में बंद सरबजीत की चिठ्ठियां सिसकियां ले रही हैं। इन चिठ्ठियों पर एक नजर डालने के बाद आप भी भारत सरकार की नाकामकी पर शर्मिंदगी महसूस करेंगे। यहां बात सिर्फ यूपीए सरकार की नहीं है, इससे पहले एनडीए सरकार ने भी सरबजीत के लिये कुछ नहीं किया।

सरबजीत की पहली चिठ्ठी

मैं सरबजीत सिंह उर्फ लखन सिंह आज कल पाकिस्‍तान की जेल में हूं। यहां पर दिन गुजारना काफी कठिन होता जा रहा है। मुझे हर पल अपने गांव और अपने परिवार की याद सताती रहती है। मैं बताना चाहता हूं कि इन लोगों ने मुझे मंजीत सिंह बना कर गलती से पकड़ लिया है। वो मं‍जीत सिंह बस में हुए धमाकों में शामिल था, लेकिन मुझे यकीन है कि कोर्ट में मुझे न्‍याय मिलेगा और मैं जल्‍द ही रिहा हो जाउंगा।

चिठ्ठी जब मौत की सजा मिली

मैं सरबजीत सिंह, मुझे पाकिस्‍तानी सैनिकों ने पकड़ कर पुलिस के हवाले किया और सीधे एफआईयू के हवाले कर दिया गया। बैरक में ले जाती ही मेरी पिटाई शुरू कर दी गई। मुझे सेल नंबर 13 में बंद कर दिया गया और खूब पीटा गया। तभी कर्नल गुलाम अब्‍बास वहां पहुंचे और मुझसे कहा कि तुम मंजीत सिंह हो। जब तक मैं नहीं कहता रहा, तब तक वो लोग मुझे पीटते रहे। लेकिन इस कांड ने मेरे पक्ष को मजबूत कर दिया था।

मैं कितना अभागा हूं, 15 अगस्‍त 1992 के दिन जब पूरा भारत आजादी का जश्‍न मना रहा था, तब मुझे यहां फांसी की सजा सुनायी जा रही थी। मुझे यहां किसी और के गुनाह की सजा दी गई है। इन लोगों ने मुझे मंजीत सिंह बनाकर कोर्ट के सामने पेश कर दिया है। मुझे सफाई का मौका तक नहीं दिया। शायद मैं फांसी की सजा से बच सकता था, अगर भारत सरकार कोई ठोस कदम उठाती। मैं रिहा होने की कगार पर था। मेरे वकील ने मुझसे कहा था कि सारे सबूत मेरे पक्ष में हैं, इसलिये 15 अगस्‍त को तुम रिहा हो जाओगे। लेकिन पेशी के ठीक पहले जज के कमरे में मेजर गुलाम अब्‍बास व अन्‍य दो अधिकारी गये।

उसके बाद जो हुआ वो मेरे लिये मौत की सजा लेकर आया। गुलाम अब्‍बास के खिलाफ सारे गवाह पलट गये। जिस मजिस्‍ट्रेट के सामने मैंने मंजीत सिंह नहीं होने की गवाही दी थी, वह मजिस्‍ट्रेट बयान से पलट गया और कहा कि उस दिन इसने शेव की हुई थी, आज दाढ़ी बढ़ी हुई है, यह वही है, जिसने लाहौर बस स्‍टैंड में धमाका किया। यह रॉ का एजेंट है और भारतीय जासूस भी।

बहन को चिठ्ठी

मैं यह बताना चाहता हूं कि भारत सरकार को बता देना कि मुझे यहां हर रोज टॉर्चर किया जाता है। ये लोग मुझे पागल करना चाहते हैं। मुझसे कहते हैं कि तुम आतंक‍वादियों के ट्रेनिंग कैंप में शामिल हो जाओ। अगर मुझे जबरन ट्रेनिंग दी गई, तो मैं शहीद भगत सिंह बनकर इन्‍हीं लोगों को बम से उड़ा दूंगा, लेकिन मैं यह सब नहीं करना चाहता, मैं अपने परिवार के पास जाना चाहता हूं, अपनी बेटियों से मिलना चाहता हूं अपनी बड़ी बेटी को वकील बनते देखना चाहता हूं।

सोनिया गांधी को चिठ्ठी

श्रीमती सोनिया गांधी, अध्‍यक्ष यूपीए। मैं आपसे विनम्र निवेदन करना चाहता हूं कि कृपया भारत सरकार को मेरे मामले में कोई ठोस कदम उठाने को कहें। पहले मुझे यहां हर रोज यातनाएं दी जाती थीं, अब पिछले कुछ दिनों से मुझे खाने में कुछ दिया जा रहा है, मेरा शरीर बेकार होता जा रहा है, बायां हाथ काम करना बंद कर चुका है और बायें पैर में दर्द रहता है....

ये सरबजीत की चिठ्ठयों के कुछ अंश हैं, जो आईबीएन 7 के सौजन्‍य से हम आपके सामने लेकर आये हैं। खैर सच पूछिए तो इन चिठ्ठियों के महज कुछ अंश ही रुलाने वाले हैं, जरा सोचिये ओरिजनल चिठ्ठी पढ़ने के बाद परिवार कितने आंसू बहाता होगा। लेकिन हमारी सरकार ने सरबजीत के परिवार के आंसुओं की कोई कीमत नहीं समझी। आज जब सरबजीत इस दुनिया में नहीं हैं, तब सरकार पैसा और नौकरी देकर खानापूर्ति कर रही है।

जरा सोचिये सरबजीत को लेकर अगर भारत सरकार ने अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर दबाव बनाया होता, तो आज शायद वो एक खुशहाल किसान के रूप में भारत मां की सेवा कर रहे होते।

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English summary
Cremation of Sarabjit Singh's dead body will take place in his village Bhikhivind near Amritsar. Before the lets have a look on Sarabjit's letters.
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