आजम खां जी खुर्शीद के इशारे पर नहीं चलता अमेरिका
लखनऊ (नवीन निगम)। काश कोई आजम खां को यह बता पाता कि अमेरिका में भारत के विदेश मंत्री की कितनी चलती होगी। अगर भारत के विदेश मंत्री के कहने पर आजम खां को अपमानित किया जा सकता है तो जार्ज और मीरा शंकर या डा. एपीजे अब्दुल कलाम के साथ कभी ऐसा नहीं होता। और शाहरूख के साथ तो कभी नहीं, क्योंकि वह तो राहुल और प्रियका के दोस्त भी हैं और नामचीन फिल्म स्टार। यूपी में राजनीति का स्तर इसी बात से पता चलाया जा सकता है कि आजम खां ने अपने साथ हुई बदसलूकी के लिए सलमान खुर्शीद को जिम्मेदार ठहरा दिया है।
आजमा खां और सपा के दूसरे नेता अमेरिकी व्यवस्था को या तो जानते नहीं है या जानबूझकर ऐसा कह रहे हैं। अमेरिका में हवाई अड्डों पर सुरक्षा का जिम्मा होमलैंड सिक्यूरिटी विभाग के पास है, जिसे 11 सितंबर 2001 के आतंकवादी हमले के बाद देश में आंतरिक सुरक्षा को अभेद्य बनाने के लिए स्थापित किया गया था। यह वहां के सर्वोच्च प्राथमिकता वाले विभागों में से एक है जो किसी भी किस्म के दबावों, से मुक्त होकर काम करता है। कई बार उसकी सतर्कता मूर्खता के चरम तक भी जा पहुँचती है, जब किसी यात्री पर जरा भी संदेह होने या उसके द्वारा तर्क-वितर्क किए जाने पर आक्रामक अंदाज में ढेरों सुरक्षा अधिकारी और खुफिया अधिकारी आ जुटते हैं।
इस विभाग के कामकाज के तौर तरीकों में सुधार की गुंजाइश है और अमेरिका के कई गणमान्य लोग भी इसकी शिकायत कर चुके है, लेकिन इसके कामकाज में वहां की सरकार तक कोई बाधा नहीं डाल सकती है। इस विभाग के पास असीमित शक्ति होती है।
अमेरिकी होमलैंड सिक्यूरिटी विभाग और आव्रजन विभाग अपनी कंप्यूटर प्रणालियों के माध्यम से कुछ लोगों को विशेष पूछताछ और तलाशी के लिए छाँटता है। जैसे यदि आपके नाम के आगे खान लिखा है क्योंकि अफगानिस्तान में पठान लोग भी खान लिखते है और कश्मीरी भी। इसलिए हर उड़ान के कुछ यात्रियों को उनकी पृष्ठभूमि, नाम, गंतव्य और आकस्मिक चयन के आधार पर विशेष स्क्रीनिंग के लिए छांटा जाता है।
आतंकवाद के प्रति अति-सतर्कता और अति-संवेदनशीलता के चलते अमेरिकी एयरपोर्ट पर अक्सर ऐसे हालात देखे जाते है। यह बात और इस घटना के कारण मुख्यमंत्री और उनके साथी मंत्रियों ने अमेरिका में जिन संस्थानों के कार्यक्रमों का बहिष्कार किया, उनका न तो इस घटना में कोई हाथ है और न ही इससे उनके स्तर या दर्जे पर कोई फर्क पडऩे वाला है। हार्वर्ड एक शैक्षणिक संस्थान है और अमेरिकी प्रशासन पर किसी तरह का प्रेशर डालने में सक्षम नहीं है। इसके उलट डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम और पूर्व रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडीज ने ऐसी घटनाओं की वजह से अपना दौरा रद्द नहीं किया था क्योंकि यात्रा का उद्देश्य अधिक महत्वपूर्ण था।
अखिलेश और आजम खाँ भी यदि ऐसा ही करते तो समारोह पर अपनी छाप छोड़ते। लोगों की भारतीय सस्कृति का अहसास होता, लेकिन उन्होंने कलाम और फर्नांडीज की बजाए पाकिस्तानी फौज के उस प्रतिनिधिमंडल का रास्ता चुना जो सितंबर 2010 में अपने एक सदस्य को वाशिंगटन में विमान से उतारे जाने के कारण पूर्व निर्धारित सैन्य सम्मेलन में हिस्सा लिए बिना पाकिस्तान लौट गया था।