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भुल्‍लर को फांसी ही होगी, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की दया याचिका

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Devender Pal Singh Bhullar
नयी दिल्‍ली (ब्‍यूरो)। 1993 में हुए दिल्‍ली बम धमाके के दोषी देवेंद्र सिंह भुल्‍लर की फांसी की सजा बरकार रखी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने भुल्‍लर की दया याचिका खारिज कर दी है और साफ कर दिया है कि भुल्‍लर को फांसी होगी। भुल्‍लर ने फांसी की सजा में हुई देरी को माफी का आधार बनाकर फांसी की सजा को उम्रकैद में तब्‍दील करने की याचिका दायर की थी। भुल्‍लर के संबंध में यह दलील दी गई थी कि अत्‍यधिक लंबे समय तक काल कोठरी में मौत की सजा की बाट जोहना क्रूरता है और इससे संविधान के अनुच्‍छेद 21 में प्रदत्‍त मौलिक अधिकार का हनन होता है।

मालूम हो कि देवेंद्र सिंह भुल्‍लर को 11 सितंबर 1993 में दिल्‍ली में हुए एक कार धमाके का दोषी करार दिया गया था। कांग्रेस के युवा नेता मनिंदरजीत सिंह बिट्टा को मारने की उस कोशिश में नौ लोग मारे गए थे। दिल्ली की रायसीना रोड पर युवा कांग्रेस के मुख्यालय के करीब हुए उस धमाके की जिम्मेदारी खालिस्तान लिबरेशन फोर्स ने ली थी और उनके निशाने पर युवा कांग्रेस नेता बिट्टा थे। घटना के वक्त बिट्टा अपनी कार से वहां से निकल रहे थे। उनकी जान तो बच गई, लेकिन शरीर पर काफी गंभीर चोटें आई। धमाके में बिट्टा के दो बॉडीगार्ड की भी मौत हुई थी। बाद में जांच एजेंसियों ने उस धमाके के लिए भुल्लर को दोषी ठहराया।

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English summary

 
 In a judgement that will lay precedence for others, the Supreme Court on Friday rejected the mercy petition filed by Punjab militant Devender Pal Singh Bhullar, who was convicted of killing nine people with a car bomb in Delhi in 1993.
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