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भुल्‍लर को बचा रही थीं शीला दीक्षित और केस लड़ रहे थे सिब्‍बल: बिट्टा

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नयी दिल्‍ली (ब्‍यूरो)। राष्ट्रीय राजधानी में वर्ष 1993 में युवक कांग्रेस के दफ्तर के बाहर हुए बम विस्फोट में हमले का निशाना रहे तत्कालीन युवक कांग्रेस के नेता मनिंदर जीत सिंह बिट्टा ने इस मामले में मौत की सजा पाए खालिस्तान समर्थक आतंकवादी देवेंद्रपाल सिंह भुल्लर के मृत्युदंड को आजीवन कारावास में बदलने की उसकी याचिका सर्वोच्च न्यायालय द्वारा खारिज किए जाने का स्वागत किया है। बिट्टा ने यह आरोप भी लगाया कि उनकी खुद की पार्टी कांग्रेस सहित कोई भी उनकी मदद के लिए आगे नहीं आया। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी अगली लड़ाई पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत राजीव गांधी के हत्यारों को सजा दिलाने के लिए होगी।

बिट्टा ने कहा, भुल्लर की फाइल गृह मंत्रालय, कानून मंत्रालय तथा दिल्ली सरकार के पास 15 वर्षो तक घूमती रही। मुझे उम्मीद नहीं थी कि भुल्लर को मौत की सजा हो पाएगी। उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित की सरकार ने भुल्लर को 'मानसिक रूप से बीमार' घोषित कर उसे बचाने की कोशिश की। उन्होंने कहा, आज का फैसला बहुत महत्वपूर्ण है। हम न्यायालय के समक्ष सिर झुकाते हैं। बिट्टा ने कहा, कोई भी मेरे साथ नहीं था। मीडिया ने भी मुझे अकेला छोड़ दिया। मैंने हमेशा पूछा कि तत्कालीन सरकार ने आखिर क्यों मेरी सुरक्षा हटा ली, जबकि मुझ पर वर्ष 1992 में भी हमला हुआ था। मेरी पार्टी और इसके नेता डरे हुए थे और उन्होंने मुझे अपना बचाव खुद करने के लिए छोड़ दिया।

Bitta welcomes SC verdict on Bhullar

उन्होंने कहा, मैं राजीव गांधी की हत्या के लिए दोषी ठहराए गए लोगों को भी मौत की सजा दिलाने के लिए लड़ाई लडूंगा। यह मेरा अगला लक्ष्य है। बिट्टा ने उन नेताओं की सुरक्षा हटाने की मांग की, जिन पर कभी कोई हमला नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि हालांकि वह कांग्रेस से जुड़े रहे, लेकिन पार्टी के कुछ नेताओं ने उनके खिलाफ काम किया और उनसे मामला वापस देने के लिए कहा। बिट्टा ने कहा, अंबिका सोनी ने मुझे भुल्लर मामला वापस लेने के लिए कहा था। उन्होंने पूर्व में कपिल सिब्बल द्वारा भुल्लर का मुकदमा लड़ने पर भी सवाल उठाए।

भुल्लर को दिल्ली में युवक कांग्रेस के दफ्तर के बाहर वर्ष 1993 में बम विस्फोट के लिए दोषी ठहराते हुए वर्ष 2003 में मौत की सजा सुनाई गई थी। उसने उसी साल राष्ट्रपति के पास दया याचिका दायर की, जिसे राष्ट्रपति ने 25 मई, 2011 को खारिज कर दिया। वर्ष 2011 में उसने इस आधार पर राष्ट्रपति के निर्णय को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी कि उसकी दया याचिका पर निर्णय काफी देर से आया। लेकिन शुक्रवार को सर्वोच्च न्यायालय ने भी उसकी याचिका खारिज कर दी। वर्ष 1993 में हुए बम विस्फोट में नौ लोगों की जान गई थी। हमले का निशाना युवक कांग्रेस के तत्कालीन नेता बिट्टा बाल-बाल बचे थे। (आईएएनएस)

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English summary
Welcoming the SC verdict rejecting the mercy plea of Khalistani terrorist Devenderpal Singh Bhullar who had targeted him in a bomb attack in 1993, then Youth Congress leader MS Bitta alleged no one including his Congress party had come forward to help him.
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