आयुर्वेद में 200 करोड़ का घोटाला, अखिलेश आगबबूला
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के आयुर्वेद निदेशालय में 200 करोड़ रुपए का घोटाला उजागर हुआ है। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने विभागों में लापरवाही एवं वित्तीय अनियमितता और भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की अपनी नीति के तहत आयुर्वेद निदेशालय व शासन के 6 अधिकारियों/कर्मचारियों को एक प्रकरण में निलम्बित कर उनके खिलाफ कार्यवाही करने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने प्रकरण को गम्भीर मानते हुए इसकी जांच सतर्कता अधिष्ठान से कराने के आदेश दिए हैं।
सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि आयुर्वेद निदेशालय में अधिकारियों एवं कर्मचारियों तथा शासन के चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों की मिलीभगत से वर्ष 2010 में लगभग 800 चिकित्सा अधिकारी (सामुदायिक स्वास्थ्य) को अनियमित तरीके से समयमान वेतनमान एवं वित्तीय स्तरोन्नयन का लाभ पूर्वगामी तिथियों से प्रदान कर शासन को लगभग 200 करोड़ रुपए की आर्थिक क्षति पहुंचाई गई है।
प्रकरण की जानकारी मुख्य सचिव के संज्ञान में लाए जाने पर मुख्य सचिव द्वारा प्रमुख सचिव वित्त विभाग, प्रमुख सचिव, चिकित्सा शिक्षा विभाग एवं सचिव वित्त विभाग की एक समिति गठित करते हुए पूरे प्रकरण कीप्रारम्भिक जांच रिपोर्ट प्रस्तुत किए जाने के निर्देश दिए गए। समिति द्वारा आयुर्वेद निदेशालय शासन से सम्बन्धित अभिलेखों के विस्तृत छानबीन करने के उपरान्त अपनी प्रारम्भिक जांच रिपोर्ट मुख्य सचिव को प्रस्तुत की गई।
प्रवक्ता ने बताया कि मुख्य सचिव के माध्यम से प्रकरण की जानकारी मुख्यमंत्री के संज्ञान में लाए जाने पर तत्काल कठोर कदम उठाते हुए यह कार्यवाही की गई है। निलम्बित किए गए अधिकारियों एवं कर्मचारियों में श्रद्धा मिश्रा, तत्कालीन निदेशक आयुर्वेद सेवाएं, जावेद एहतेशाम, तत्कालीन उप सचिव चिकित्सा अनुभाग-2, उप्र शासन, प्रदीप उपाध्याय, तत्कालीन समीक्षा अधिकारी, चिकित्सा शिक्षा अनुभाग-2, पी.सी. चौधरी, तत्कालीन वित्त नियंत्रक आयुर्वेद निदेशालय, मंगल दत्त त्रिवेदी, तत्कालीन सहायक औषधि नियंत्रक एवं शशिधर शुक्ला तत्कालीन क्षेत्रीय आयुर्वेद एवं यूनानी अधिकारी, बाराबंकी शामिल हैं।
मुख्यमंत्री ने प्रकरण की जांच सतर्कता अधिष्ठान से कराए जाने के साथ ही जिन जनपदों के मुख्य चिकित्सा अधिकारियों ने अनियमित तरीके से चिकित्सा अधिकारी (सामुदायिक स्वास्थ्य) को अपने स्तर से समयमान वेतनमान का लाभ दिया है, उनके विरूद्ध भी विभागीय अनुशासनात्मक कार्यवाही किए जाने के आदेश दिए गए हैं। प्रवक्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री के इस निर्णय से स्पष्ट है कि भ्रष्टाचार एवं कर्तव्यों के निर्वहन में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों के विरुद्ध तत्काल कठोर कार्यवाही की जाएगी तथा उन अधिकारियों के लिए एक चेतावनी भी है, जो अपनी कार्यप्रणाली में अभी तक सुधार नहीं ला पाए हैं।