कड़वी होगी चीनी की मिठास, शुगर से सरकार की कंट्रोल खत्म
सरकार ने चीनी से सब्सिडी खम्त करनेके पीछे अपनी दलील दी है कि उनके इस फैसले से 80 हजार करोड़ रुपए के शुगर सेक्टर को फायदा होगा। सरकार ने दावा किया है कि इससे चीनी की कीमतों पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। लेकिन चीनी से सरकारी नियंत्रण खत्म होने के बाद इसका महंगा होना तय है। क्योंकि सरकार अब तक जो चीनी 20 रुपए प्रति किलो के दर से चीनी मिलों से खरीदती थी अब वह बाजार भाव पर खरीदेगी। ऐसे में सरकार की सब्सिडी का बोझ 2600 करोड़ से बढ़कर 5300 करोड़ हो जाएगा। सरकार घाटा पूरा करने के लिए चीनी पर अतिरिक्त उत्पाद शुल्क लगा सकती है।
इससे चीनी और महंगी होगी। अब तक चीनी क्षेत्र में उत्पादन से लेकर वितरण तक पर जिस सरकार का नियंत्रण था, वो सरकार के इस फैसले के बाद खत्म हो जाएगा। सरकार की ओर से खाद्य मंत्री केवी थॉमस ने बताया कि चीनी को नियंत्रण मुक्त करने के साथ ही उसके साथ कुछ शर्तें भी रखी गई है। जिसे मानना अनिवार्य होगा। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद् के अध्यक्ष सी रंगराजन कमेटी की सिफारिशों पर अमल करते हुए सरकार ने चीनी उद्योग पर सरकारी नियंत्रण खत्म करने का फैसला किया है।
सरकार के इस फैसले के बाद चीनी मिलों को अपने कुल उत्पादन का 10 फीसदी हिस्सा सरकार को कम कीमत पर बेचने की बाध्यता भी खत्म हो जाएगी। मिलों द्वारा सरकार को कम कीमत पर मिलने वाले इस लेवी शुगर को सरकार सरकारी राशन की दुकानों के जरिए बीपीएल परिवारों को मुहैया कराती है। लेकिन अब ऐसा नहीं हो पाएगा। इसके अलावा चीनी मिलें अब अपने हिसाब से बाजार में चीनी आपूर्ति करेंगी। पहले सरकार के आदेश के मुताबिक चीनी की आपूर्ति बाजार में होती थी। इन सब के चीनी की मिठास गायब होना लाजमी है।