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मिला लैपटॉप, क्‍या आने वाली जैनरेशन अब करेगी टॉप?

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बैंगलोर। अपने चुनाव घोषणा पत्र के अनुसार मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव ने युवाओं को लैपटॉप दिये। इसके पहले उन्‍होने लगभग दस हजार लोगों को बेरोजगारी भत्‍ता दिया था। लैपटॉप वितरण के बाद युवा मुख्‍यमंत्री ने इसे अपनी पार्टी की बड़ी उपलब्धि बताते हुए कहा था कि हम जो भी वादे करते हैं वो निभाते हैं। अखिलेश यादव ने अपने भाषण में कम्‍प्‍यूटर शिक्षा को बेहद जरूरी बताया है लेकिन हम उनसे पूछना चाहते हैं कि लैपटॉप देने से क्‍या आने वाली जैनरेशन टॉप करेगी? आने वाली जैनरेशन से हमारा तात्‍पर्य है प्राइमरी-सेकेंड्री स्‍कूलों में पढ़ रहे बच्‍चों से है, जिनके नसीब में ढंग के टीचर तक नहीं।

अभी कुछ बीएड डिग्री धारकों ने लखनऊ में धरना प्रदर्शन किया था। जिसमें उनकी मांग थी कि एक निश्चित प्रक्रिया के तहत उनकी बहाली की जाय, वहीं राज्‍य सरकार मेरिट के आधार पर नौकरी देने की तरफदारी कर रही थी। इसको लेकर बीएड डिग्री धारकों ने हंगामा किया था। इसके अतिरिक्‍त एक सच यह भी है कि राज्‍य के प्राथमिक विद्यालयों में बच्‍चों और शिक्षकों के अनुपात में काफी फर्क है साथ ही प्राथमिक विद्यालयों के भवनों की स्थिति भी जर्जर है।

बदहाल प्राथमिक शिक्षा और शिक्षकों की कमी से कभी भी हम एक बेहतर कल की उम्‍मीद नहीं कर सकते हैं। ऐसे में कुछ युवाओं को लैपटॉप देकर अपने आप को प्रगतिशील बताना, जले पर नमक लगाने जैसी बात है। वर्तमान हालात को देखकर सरकार से यही अनुरोध किया जा सकता है कि सरकार शिक्षा में सुधार के लिए जमीनी स्‍तर पर काम करे अन्‍यथा बुनियादी समस्‍याएं कभी हल नहीं होंगी। एक और देखने वाली बात यह है कि आजकल प्राइवेट स्‍कूलों में कम्‍प्‍यूटर शिक्षा दी जा रही है वहीं सरकारी स्‍कूलों से अभी इस तरह की उम्‍मीद करना भी बेमानी है।

शिक्षा का हाल बेहाल

यूपी की प्राइमरी शिक्षा के हालात पर बात करें तो वेबसाइट स्‍कूल रिपोर्ट कार्ड डॉट इन के आंकड़े ही काफी होंगे। कॉन्‍ट्रैक्‍ट पर पढ़ाने की बात हो तो इसमें उत्‍तर प्रदेश सबसे आगे है। जी हां देश में कॉन्‍ट्रैक्‍ट पर पढ़ाने वाले शिक्षक सबसे ज्‍यादा यूपी में हैं। इनकी संख्‍या 174320 है। अगर इन्‍हें परमानेंट कर दिया जाये तो पढ़ाई की गुणवत्‍ता में सुधार हो सकता है। दूसरी बात प्राइमरी स्‍कूलों में 2,39,33,247 बच्‍चे पढ़ते हैं, वहीं अपर प्राइमरी में 76,04,400। इन्‍हें पढ़ाने के लिये कॉन्‍ट्रैक्‍ट और परमानेंट मिलाकर 6,97,890 शिक्षक हैं। यानी करीब 45 बच्‍चों पर एक टीचर। जबकि शिक्षा की सही गुणवत्‍ता के लिये प्रत्‍येक 25 बच्‍चों पर एक टीचर होना चाहिये। इसके अलावा शर्म की बात तो यह है कि यूपी के 2378 स्‍कूल ऐसे हैं, जहां 10 से कम बच्‍चे पढ़ते हैं।

मुलायम ने भी नहीं सोचा

कुल मिलाकर देखा जाये तो सीएम अखिलेश यादव को चुनावी घोषणा पत्र में इंटर पास करने वाले छात्रों को नहीं बल्कि प्राइमरी व सेकेंड्री स्‍कूलों में पढ़ाने वाले टीचर्स को लैपटॉप देने चाहिये थे, ताकि वो अपने ज्ञान को बढ़ाकर हमारी आने वाली जैनरेशन की नीव मजबूत कर सकते। लेकिन अफसोस खुद टीचर रह चुके मुलायम सिंह यादव के दिमाग में यह बात नहीं आयी।

Comments
English summary
Chief Minister of Uttar Pradesh should take some steps to improve primary education, there is lack of teachers. Distribution of laptops is not enough.
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