विवादों से राजा भैया का है पुराना नाता
लखनऊ। प्रतापगढ़ के कुंडा में सीओ के पद पर तैनात रहे पुलिस उपाधीक्षक जिया उल हक की हत्या की साजिश करने के आरोपों से घिरे रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया की अपराध में संलिप्तता कोई पहली बार उजागर नहीं हुई है। कई अपराधों में शामिल रहे राजा भैया ने समाजवादी पार्टी (सपा) के शासनकाल में हमेशा रौद्र रूप दिखाया है। अभी तक मायावती ही इकलौती ऐसी मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने न सिर्फ राजा भैया को जेल में डाला, बल्कि उन पर आतंकवाद निरोधक कानून (पोटा) भी लगाया।
सीओ
हत्याकांड
में
नाम
आने
के
बाद
खाद्य
मंत्री
के
पद
से
राजा
भैया
का
इस्तीफा
तो
ले
लिया
गया,
लेकिन
अखिलेश
यादव
सरकार
उनकी
गिरफ्तारी
करने
की
हिम्मत
नहीं
दिखा
पा
रही
है।
खुद
सपा
के
कई
नेता
दबी
जुबान
कह
रहे
हैं
कि
राजा
भैया
के
खिलाफ
कड़ी
कारवाई
होनी
चाहिए,
लेकिन
सियासी
रसूख
और
पार्टी
अध्यक्ष
मुलायम
सिंह
यादव
से
निकटता
के
कारण
फिलहाल
राजा
भैया
की
गिरफ्तारी
मुश्किल
लग
रही
है।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक कहते हैं कि जब राजा भैया के खिलाफ सीओ की हत्या की साजिश का मुकदमा दर्ज हो गया तो उनकी गिरफ्तारी क्यों नहीं हो रही है। इस मामले में अखिलेश सरकार के रवैये से साफ है कि वह राजा भैया को बचाना चाहती है।
राजा भैया कुंडा विधानसभा क्षेत्र से लगातार पांच बार से विधायक हैं। राजा भैया 1993 और 1996 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) समर्थित, तो 2002, 2007 और 2012 के चुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में निर्वाचित हुए। बीते वर्ष विधानसभा चुनाव में सपा को पूर्ण बहुमत मिलने के बावजूद निर्दलीय विधायक के रूप में जीते राजा भैया को अखिलेश सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया।
राजा भैया के सियासी रसूख का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वह भाजपा की कल्याण सिंह सरकार, राम प्रकाश गुप्ता सरकार और राजनाथ सिंह सरकार के अलावा सपर की मुलायम सिंह सरकार में भी मंत्री बनाए गए थे। राजा भैया का लंबा आपराधिक इतिहास रहा है और विवादों से उनका पुराना नाता है। राजा भैया पर उनके घर पर छापा मारने वाले पुलिस उपाधीक्षक राम शिरोमणि पांडे की हत्या करवाने का आरोप है। पांडे की संदेहास्पद परिस्थिति में एक सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी। केंद्रीय जांच ब्यूरो(सीबीआई) अभी भी इस मामले की जांच कर रही है।
तमाम अपराधों में सिलिप्तता के बावजूद कोई सरकार किन्हीं कारणों से उन पर कार्रवाई की हिम्मत नहीं दिखा पाई। मायावती ही ऐसी मुख्यमंत्री थीं जिन्होंने राजा भैया को जेल की सलाखों के पीछे भेजा। साल 2002 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावाती ने राजा भैया को जेल के अंदर भेजने के बाद उन पर पोटा भी लगा दिया। साल 2010 में पंचायत चुनाव के दौरान कुंडा हुई हिंसा में एक उम्मीदवार को जान से मारने के प्रयास के आरोप में मुख्यमंत्री मायावती ने एक बार फिर उन्हें जेल में डलवाया। करीब एक साल तक राजा भैया जेल में बंद रहे।
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के नेता राम अचल राजभर कहते हैं कि बहन जी (मायावती) गुंडागर्दी और आपराधिक तत्वों को कतई बर्दाश्त नहीं करतीं। उन्होंने केवल राजा भैया को ही नहीं, बल्कि कई ऐसे नेताओं को जेल भिजवाया, जिन्होंने जंगलराज कायम करने की कोशिश की।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।