VOIP कॉल बनी सुरक्षा के लिए खतरा
नई दिल्ली। राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड यानी एनएसजी के एक अधिकारी का इंटरनेट टेलीफोन के जरिए पाकिस्तान के खुफिया एजेंट से हैदराबाद बम धमाकों की जानकारी साझा करने के बाद से इस ऑनलाइन सेवा पर ही सवाल खड़े हो गए हैं। सुरक्षा में लगी इस सेंध के बाद से सुरक्षा एजेंसियां इस तकनीक को सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा मान रही हैं। ऐसे में इंटरनेट टेलीफोनी सेवा का इस्तेमाल कम करने पर भी विचार किया जा रहा है।
इस
तकनीक
के
गलत
इस्तेमाल
के
बाद
एनएसजी
प्रमुख
अरविन्द
रंजन
का
कहना
है
कि
संबंधित
अफसर
ने
हैदराबाद
धमाकों
की
कोई
अहम
जानकारी
लीक
नहीं
की
है,लेकिन
इंटरनेट
टेलीफोनी
सेवा
पर
सवाल
जरूर
खड़े
हो
गए
हैं।
सूत्रों
की
माने
तो
सुरक्षा
एजेंसियों
ने
इस
मामले
को
गंभीरता
से
लिया
है
और
अब
इस
सेवा
के
फायदे
और
नुकसान
पर
गहन
विचार
किया
जा
रहा
है।
सूत्र के मुतबिक पाक खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए वॉयस ओवर इंटरनेट प्रोटोकाल यानी वीओआईपी काफी सुविधाजनक साधन है। भारत में भी अवैध तरीके से वीओआईपी का इस्तेमाल किया जा रहा है। इस तकनीक की सुरक्षा की लिहाज से सबसे बड़ी खामी यह है कि इंटरनेट पर फोन करने वाला व्यक्ति कहां है, इसका तत्काल पता नहीं लगाया जा सकता। इस तकनीक के बेजा इस्तेमाल को लेकर सुरक्षा एजेंसियां टेलीकॉम डिमार्टमेंट से कई बार शिकायत कर चुकी हैं कि वह इंटरनेट टेलीफोनी सेवा धारकों से इस समस्या का समाधान निकाने को कहें। इसके लिए विभाग, राष्ट्रीय तकनीकी अनुसंधान संगठन और सेवा प्रदाताओं के बीच कई दौर की बैठकें भी हो चुकी हैं। मगर, देश के बाहर से परिचालन कर रहे गैर पंजीकृत वीओआईपी को बंद करने के लिए अभी तक कोई समाधान नहीं निकल पाया है।
क्या
हैं
समस्या
हाल
ही
में
एनएसजी
के
एक
अफसर
ने
इंटरनेट
फोन
का
इस्तेमाल
कर
हैदराबाद
ब्लास्ट
से
जुड़ी
खुफिया
जानकारी
पड़ोसी
देश
पाकिस्तान
से
साझा
किया
था।
इस
घटना
के
बाद
से
सुरक्षा
एजेंसियों
ने
इंटरनेट
टेलीफोनी
सेवा
का
इस्तेमाल
कम
करने
पर
हो
रहा
विचार
पहले
भी
आईं
थी
ऐसी
कॉल्स
सूत्रों
की
माने
तो
पिछले
साल
उत्तर
कश्मीर
स्थित
ब्रिगेड
मुख्यालय
को
इंटरनेट
टेलीफोनी
के
जरिए
एक
संदिग्ध
कॉल
आई
थी।
इसमें
एक
अधिकारी
की
यात्रा
को
लेकर
सूचना
दी
गई
थी।
इसके
अलावा
भी
कई
बार
इस
तरह
क
कॉल्स
सुरक्षा
ऐजेंसियों
के
द्वारा
पकड़े
गए
है।
लश्कर-ए-तैयबा
भी
करता
है
इसका
इस्तेमाल
आंतकी
संगठन
लश्कर-ए-तैयबा
का
कश्मीर
कमांडर
फुरकान
भी
अकसर
अपने
काडरों
से
वीओआईपी
तकनीक
का
इस्तेमाल
कर
बात
करता
रहा
है।
पुलिस
के
एक
वरिष्ठ
अधिकारी
ने
कहा
कि
कभी-कभी
तो
ऐसे
फोन
की
निगरानी
हो
जाती
है,
लेकिन
चूक
होने
की
संभावना
से
भी
इनकार
नहीं
किया
जा
सकता।