कुख्यात वीरप्पन के साथियों की फांसी फैसला आज
नयी दिल्ली (ब्यूरो)। कुख्यात चंदन तस्कर और आतंक का प्रयाय रह चुका वीरप्पन के साथियों की फांसी की सजा पर रोक की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनवाई करेगा। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने वीरप्पन के चारों साथियों की फांसी पर बुधवार यानी कि आज तक के लिये रोक लगा दी थी। इस पूरे मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया अल्तमस कबीर की बैंच ने की थी।
मालूम
हो
कि
राष्ट्रपति
प्रणव
मुखर्जी
ने
इन
चारों-
ज्ञानप्रकाशम,
सिमोन
एंटोनियप्पा,
मीसेकर
मदैया
और
बिलावेंद्रन
की
दया
याचिका
12
फरवरी
को
खारिज
कर
दिया
था।
इसके
बाद
ये
लोग
सुप्रीम
कोर्ट
की
शरण
में
गये
थे।
चारो
सजायाफ्ता
के
याचिका
में
कहा
गया
था
कि
इन
चारों
की
दया
याचिका
पर
फैसला
होने
में
नौ
साल
का
लंबा
वक्त
लगा
है,
इसलिए
इनकी
फांसी
की
सजा
रद्द
कर
देनी
चाहिए।
उल्लेखनीय है कि गणनप्रकाशम, सिमोन एंटोनियप्पा, मीसेकर मदैया तथा बिलावेंद्रन नाम के वीरप्पन के चार साथियों को 1993 में कर्नाटक के पोलार में बारूदी सुरंग के विस्फोट में 22 पुलिसकर्मियों और अन्य लोगों की मौत के सिलसिले में फांसी की सजा सुनाई गई थी। इन चारों ने अपनी याचिका में सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि उनकी फांसी की सजा में बहुत देर की गई है। यदि अब उनको फांसी दी जाती है तो यह एक ही मामले में उन्हें दोहरी सजा दिया जाना होगा। वीरप्पन के ये चारों साथी इन दिनों कर्नाटक की बेलगाम जेल में बंद हैं।
उल्लेखनीय है कि जंगल का आतंक यानी की वीरप्पन जिसका कि पूरा नाम के. मुनिस्वामी वीरप्पन गाउंडर था, को साल 2004 में पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया था। वीरप्पन ने केवल आम आदमी को तंग नहीं किया था बल्कि उसने साउथ के सुपर स्टार राजकुमार को भी अपहरण किया था। राजकुमार वीरप्पन के कब्जे में पूरे 100 दिन थे। वीरप्पन के मरने के बाद रामगोपाल वर्मा ने उसकी जीवनी पर जंगल नाम की फिल्म बनायी थी जो कि सुपहिट हुई थी।