वीरप्पन के साथियों को राहत, बुधवार तक टली फांसी
नयी दिल्ली (ब्यूरो)। ऐसी उम्मीद की जा रही थी कि कुख्यात चंदन तस्कर वीरप्पन के चार साथियों को बीते रविवार को फांसी दे दी जायेगी मगर सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल इस पर रोक लगा दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने फांसी पर बुधवार तक के लिये रोक लगाया है। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया अल्तमस कबीर की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की है। मालूम हो कि चार दिन पूर्व सुप्रीम कोर्ट ने वीरप्पन के चार साथियों की उस याचिका को खारिज खारिज कर दिया है जिसमें इन सभी ने अपनी फांसी की सजा पर रोक लगाने की गुहार लगाई थी।
चारो
सजायाफ्ता
के
याचिका
में
कहा
गया
था
कि
इन
चारों
की
दया
याचिका
पर
फैसला
होने
में
नौ
साल
का
लंबा
वक्त
लगा
है,
इसलिए
इनकी
फांसी
की
सजा
रद्द
कर
देनी
चाहिए।
इस
याचिका
को
राष्ट्रपति
प्रणव
मुखर्जी
ने
खारिज
कर
दिया
था।
मालूम
हो
कि
इन
चारों
को
20
साल
पहले
कर्नाटक
में
बारूदी
सुरंग
में
विस्फोट
कर
22
पुलिसकर्मियों
की
जान
लेने
के
आरोप
में
मौत
की
सजा
मिली
हुई
है।
गौरतलब है कि विरप्पन के बड़े भाई गणप्रकाश, सिमोन, मीसेकर मदैया और बिलावांद्रा को वर्ष 2004 में मौत की सजा सुनाई गई थी। उसके बाद राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 13 फरवरी को चारों की दया याचिका को खारिज कर दिया था, जिससे इनकी फांसी की सजा का रास्ता साफ हो गया है। इन चारों ने अपनी याचिका में सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि उनकी फांसी की सजा में बहुत देर की गई है। यदि अब उनको फांसी दी जाती है तो यह एक ही मामले में उन्हें दोहरी सजा दिया जाना होगा। वीरप्पन के ये चारों साथी इन दिनों कर्नाटक की बेलगाम जेल में बंद हैं।
उल्लेखनीय है कि जंगल का आतंक यानी की वीरप्पन जिसका कि पूरा नाम के. मुनिस्वामी वीरप्पन गाउंडर था, को साल 2004 में पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया था। वीरप्पन ने केवल आम आदमी को तंग नहीं किया था बल्कि उसने साउथ के सुपर स्टार राजकुमार को भी अपहरण किया था। राजकुमार वीरप्पन के कब्जे में पूरे 100 दिन थे। वीरप्पन के मरने के बाद रामगोपाल वर्मा ने उसकी जीवनी पर जंगल नाम की फिल्म बनायी थी जो कि सुपहिट हुई थी।