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भारत में हर तीसरे दिन होती है फांसी, लेकिन कागजों पर

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नयी दिल्ली। अफजल की फांसी के बाद देश में एक नए तरह के विवाद ने जन्म ले लिया है। लोग सरकार के फांसी देने के तरीकों पर सवाल खड़े कर रहे है। राष्ट्रपति हर दिन किसी ना किसी की दया याचिका को नामंजूर कर रहे है। अगर पिछले कुंछ सालों के आंकड़ों को उठाकर देखे तो तकरीबन 10 सालों में अबतक 1445 दोषियों को फांसी की सजा सुनाई गई है।

इन आंकड़ों को गहराई से देखा जए तो देश के अलग-अलग अदालतों में हर तीसरे दिन एक दोषी को मृत्युदंड की सजा सुनाई जाती है। इस बात की जानकारी एक मानवाधिकार संगठन ने आधिकारिक दस्तावेज के हवाले से दी है। एशियन सेंटर पर ह्यूमन राइट के निदेशक सुहास चकमा ने कहा, "राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो यानी एनसीआरबी के रिकॉर्ड के अनुसार 2001-2011 के दौरान तकरीबन 1455 कैदियों को मौत की सजा सुनाई गई। अगर प्रतिवर्ष के आंकड़ों के तौर पर देखा जाए तो औसतन 132.27 दोषियों को मृत्युदंड की सजा सुनाई गई।"

एक गैर सरकारी संगठन ने एनसीआरबी के आकड़ों का हवाला देते हुए कहा है कि भारत में मृत्युदंड की स्थिति 2013 के नाम से रिपोर्ट पेश की है। इस रिपोर्ट के अनुसार 370 दोषियों को मृत्युदंड की सजा के साथ उत्तर प्रदेश सूची में शीर्ष स्थान पर रहा।

उत्तर प्रदेश के बाद स्थान बिहार और महाराष्ट्र का रहा जहां क्रमश: 132 और 125 दाषियों को मृत्युदंड की सजा सुनाई गई। देश की राजधानी दिल्ली में 71 दोषियों को मृत्युदंड की सजा सुनाई गई। अरूणाचल प्रदेश, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम और केंद्र शासित प्रदेशों में अंडमान और निकोबार द्वीप, दादरा एवं नगर हवेली और लक्षद्वीप में एक को भी मृत्युदंड की सजा नहीं सुनाई गई।इसी रिपोर्ट के अनुसार 4321 मृत्युदंड का सामना कर रहे दोषियों की सजा को आजीवन कारावास में बदला भी गया।

आईएएनएस

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English summary
According to the NCRB report in India The courts has sentenced to death nearly 1445 convicts in the past 10 years.
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