स्टूपिड स्टेटमेंट- वेस्टर्न ड्रेस-डांस से बिगड़ती है महिलाओं की इमेज
मंत्रीजी ने अभिव्यक्ति की आजादी का गलत इस्तेमाल करते हुए महिलाओं के पहनावे और उनके चाल-चलन को लेकर बेतुका बयान ने दिया। उन्होंने कहा कि विदेशों में महिलाएं नशा करती है, ऐसे कपड़े पहनती है जो स्वीमिंग पूल में पहनी जाती है और इन्हीं कपड़ों के साथ डिस्को में मर्दों के साथ डांस करती है। मंत्रीजी के बोल तो इस कदर तक गंदे हुए कि उन्होंने ये तक कह दिया कि विदेश में महिलाओं का सम्मान नहीं होता, वो केवल भोग की वस्तु समझी जाती है। मंत्रीजी के बोल थे जो नहीं थमने का नाम ही नहीं ले रहे थे।
उन्होंने अपने देश की महिलाओं को सीख देते हुए कहा कि महिलाओं को ऐसे कपड़े नहीं पहनने चाहिए जिससे की पाश्चात सभ्यता झलकती हो। अगर वो ऐसा करती है तो समाज में उनकी छवि बिगड़ती है। मंत्री जी ने कहा कि इस तरह के कपड़े मर्दों की भावनाओं को भड़काते है। ये कोई पहला मामला नहीं है जब कैबिनेट मंत्री बाबूलाल गौर ने महिलाओं को लेकर इस तरह का बयान दिया है। इससे पहले भी 13 जनवरी को उन्होंने महिलाओं पर इसी तरह की बयानबाजी की थी। इसके अलावा पिछले साल 11 अक्टूबर को भी उन्होंने एक महिला को हवालात भेजने की धमकी दे डाली थी। अपने मंत्री के बयान के बाद बीजेपी ने अपना पल्ला झाड़ते हुए कहा है कि ये उनका निजी बयान। लेकिन जिस तरह से बीजेपी के मंत्री बाबूलाल गौर बिना किसी शर्मिदगी के बार-बार महिलाओं पर बयानबाजी कर रहे है इससे ये सवाल उठना तो लाजमी है कि क्या...
नेता
अभिव्यक्ति
की
आजादी
का
इसी
तरह
से
फायदा
उठाते
रहेंगे?
क्या
महिलाओं
के
खिलाफ
बयान
देने
के
बाद
उनपर
कोई
कार्रवाई
नहीं
होगी?
क्या
नेताओं
के
इस
तरह
के
बयानों
से
नारी
सम्मान
का
ह्रास
नहीं
होता?
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