क्या, भारतीय युवाओं का कोई रोल मॉडल नहीं?
आज देश में युवाशक्ति की बात होती है सबको पता है कि अगर देश को सुधारना है तो युवाओं को आगे आना होगा क्योंकि उनमें ऊर्जा है, नयी सोच है , ज्यादा शक्ति है जिसके कारण वो देश को आगे ले जा सकते हैं। भारत के युवाओं के सामने अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा को यूनिवर्सल रूप में आदर्श के रूप में प्रस्तुत किया जाता है लेकिन शायद भारत का कोई ही ऐसा शक्स होगा जो कि देश के पूरे युवाओं के लिए आदर्श का केन्द्र होगा।
ध्यान देने वाली बात यह है कि हम यहां पर किसी के पसंद और ना पसंद की बात नहीं कर रहे हैं बल्कि हम बात कर रहे हैं उन आदर्श व्यक्ति की जो लोगों के लिए रोल मॉडल और आइडल होता है। हमने इस विषय पर कुछ युवागण और कुछ देश और समाज के सम्मान प्रतिनिधियों से बात की जिन्होंने आज के युवाओं को बड़े करीब से देखा है और समझा है।
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जिस निष्कर्ष पर हम पहुंचे हैं उससे तो यही मतलब निकलता है कि आज बढ़ती सूचना प्रौद्योगिकी और नेम-फेम के चक्कर में देश के युवाओं के शब्दकोश से रोल मॉडल और आदर्श शब्द ही गुम हो गया है। आज युवा पीढ़ी दौलत-शौहरत को ही अपनी सफलता का मूल मंत्र मानते हैं। आज के युवाओ के आदर्श वो लोग हैं जो कि सक्सेसफुल है हां यह बात औऱ है कि युवागण किसे सक्सेफुल मानते हैं?
आईये आपको बताते हैं कि आज के युवागण की आदर्श के बारे में परिभाषा-
युवा का मतलब ही जोश
लखनऊ विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग के अस्सिटेंट प्रोफेसर डॉ. मुकुल श्रीवास्तव, जिन्होंने अपनी मंजिल बेहद ही कम उम्र में पायी है, जिनकी बेबाकी और बातें उनके छात्र-छात्राओं के लिए आदर्श का काम किया करती हैं, का कहना है कि आज का युवाओं को तर्क करने की शक्ति है, क्योंकि वो इंटरनेट की दुनिया में जी रहा है। उसके पास उसके सवालों के जवाब है, वो तर्क करना जानता है, वो आसानी से लोगों की सुनता नहीं बल्कि वो लोगों के बताये नुस्खे में अपना अनोखा रास्ता निकालता है जो कि आगे बढ़ने के लिए जरूरी भी है औऱ सही भी। युवा का मतलब ही जोश होता है जिसका साफ उदाहरण दिल्ली के जंतर-मंतर पर दिखायी पड़ा है। हां आज का युवा तुरंत फैसला चाहता है इसलिए आक्रोशित भी है लेकिन यह भी क्षणिक है क्योंकि बदलावी युग की दरकार है पारदर्शिता, जो कि जिस दिन हो जायेगी, आक्रोश कम हो जायेगा रही बात गुस्से की तो युवा का मतलब जोश से ही होता है इसे सकारात्मक रूप से लेना चाहिए।
आज स्मार्ट फोन का जमाना है
कुछ समय पहले एक टीवी चैनल पर मैग्सेससे पुरस्कार विजेता अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि आज के युवाओं के पास तार्किक शक्ति है जिनकी वजह से देश की सूरत बदल सकती है। आज स्मार्ट फोन का जमाना है। आज हर चीज ओपन है जिसकी वजह से आज की युवा पीढ़ी काफी खुल गयी है जो कि बदलते परिदृश्य में सही भी है। यही ऊर्जा उन्हे देश की तस्वीर बदलने में मदद भी करेगी।
कड़ी मेहनत
वनइंडिया हिंदी के चीफ एडीटर अजय मोहन की नजर में आज के युवागण भी काफी प्रगतिशील है। महज चंद समय में पत्रकारिता के क्षेत्र में जाना-पहचाना नाम अजय मोहन अपनी कंपनी में सबसे कम उम्र के टीम लीडर हैं। जिसके पीछे उनकी बौद्धिक क्षमता और उनकी ऊर्जाशक्ति है जिसके दम पर वो आज एक सफलता की कसौटी पर खड़े है। उनकी नजर में आज मेहनत ही सफलता का मूल मंत्र है, जिसके कारण वो प्रतिकूल परिस्थितयों में भी घबराते नहीं हैं, जिसका श्रेय वो अपने सीनियर बॉस राजेश आनंद को देते हैं जो कि आज अपने दम पर एक पत्रिका के संपादक है। कहने का तात्पर्य यही कि उनका भी आदर्श एक सफल व्यक्ति है।
सफलता ही सफलता
अंकुर श्रीवास्तव उस श्रेणी में आते हैं जो कि आज की युवाओं का सीधे तौर पर प्रतिनिधित्व करते हैं। वनइंडिया दिल्ली के रिपोर्टर अंकुर श्रीवास्तव का कहना है कि उनके पापा उनके रोल मॉडल है क्योंकि उन्होंने ही उन्हें जिंदगी का लु्त्फ लेना सीखाया। एक बार फिर से साबित हो गया कि युवाओं की पसंद सक्सेसफुल मैन है ना कि आयडल पर्सन।
किसे चुने रोल मॉडल
लखनऊ की रहने वाली पत्रकार सोनिका मिश्रा का मानना है कि आज रोल मॉडल मिलते ही नहीं हैं। वो अपने आप को आगे बढ़ाने के लिए उन लोगों को देखती है जो उनके आस-पास हैं और काफी सफल हैं। उनसे अपने आप की तुलना करते हुए वो अपनी कमियों को दूर कर लेती हैं। सोनिका का भी मानना है कि मेहनत करो और आगे बढ़ो।
फ्लॉप शो
कांग्रेस युवराज राहुल गांधी कभी लोगों के लिए आदर्श का काम करते थे, लेकिन पिछले कई एपीसोड उनके फ्लॉप साबित हुए हैं। इसलिए लोगों की नजर में वो कोई आदर्श व्यक्तित्व नहीं रखते हैं,यह कहना है पूर्वांचल विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं का। अब राहुल गांधी युवाओं की नजर में युवा नहीं हैं और ना ही आदर्श व्यक्तित्व हैं।
पुरानी सोच
यूपी के सीएम अखिलेश यादव देश के सबसे युवा सीएम हैं, लेकिन वो भी आज आदर्श व्यक्तित्व के रूप में शामिल नहीं। गोरखपुर मेडिकल छात्र-छात्राओं के मुताबिक अखिलेश यादव पर भी उनके पिता की तरह पुरानी सोच हावी है वो कभी भी युवाओं के लिए रोल मॉडल नहीं हो सकते हैं।
क्या साबित करती हैं फिल्में
सलमान खान की लगातार हिट फिल्में साबित करती हैं कि वो लोगों की पहली पसंद हैं। छोटे शहरों और गांवो में बेहद लोकप्रिय सलमान खान के फैंस का मानना है कि सलमान खान उन लोगों के लिए आदर्श का काम करते हैं जिन्हें जिंदगी में हारकर भी आगे बढ़ सकते हैं, इसलिए वो लोगों के लिए आदर्श हैं।
बेवकूफ बनाना आसान नहीं
मशहूर कवि डॉ. कुमार विश्वास भी युवा पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करते हैं। उनके मुताबिक सक्सेस का शार्ट कर्ट नहीं होता है। लेकिन आज के आक्रोशित युवाओं के लिए उनका भी कहना है कि नयी पीढ़ी को बेवकूफ बनाना आसान नहीं है। उसे पारदर्शिता की दरकार है, इसलिए वो बहस करती है। मेरी नजर में यह सही है क्योंकि बिना बहस के निवारण नहीं होता है।
खुद से मुकाबला
भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी आज भले ही सवालों के घेरे में हैं लेकिन उन्होंने युवा शक्ति की वो मिसाल पेश की है जिसे कर पाना हर किसी के बस में नहीं। गेम के दो फार्मेट में भारत को विश्वकप दिलाने वाले धोनी ने भी कहा था कि उनका मुकाबला हमेशा से खुद से होता है वो किसी को अपना रोल मॉडल नहीं मानते हैं।