बुंदेलखंड में हो रहा परदेसी मेहमानों का शिकार
बांदा। सर्दी का मौसम आते ही बुंदेलखंड में परदेसी पंक्षियों की आमद शुरू हो गई है। हजारों किलोमीटर दूर की उड़ान भर कर आ रहे विदेशी पंक्षियों के लिए यहां का ठौर मुफीद नहीं रहा। नदी, सरोवरों और समतल खेतों में झुंड़ बनाकर भोजन की तलाश कर रहे इन पक्षियों पर शिकारियों की बंदूकें गरजने लगी हैं। प्रशासन की कवायद से भी इन पंक्षियों का शिकार नहीं रुक पा रहा।
सर्द मौसम के आते ही बुंदेलखंड में प्रवासी पंक्षियों का जमावड़ा लगने लगता है। इस समय कई प्रजाति के पक्षी हजारों किलोमीटर दूरी की उड़ान तय कर यहां आ चुके हैं, इनमें साइबेरियन पंक्षी काज (गेंगच), लाल सिर काज, सेहली, नकटा व काली मुर्ग कुरैल जैसी प्रजाति के पक्षियों की संख्या ज्यादा है। सैकड़ों की तादाद में झुंड़ बनाकर यह परदेशी पक्षी केन नदी, बागै नदी, रसिन बांध और गांवों के तालाबों को अपना आशियाना बना लिए हैं।
यह पक्षी तड़के से नदी-सरोवर या तालाबों का आशियाना छोड़कर आस-पास के धान वाले खेतों में भोजन की तलाश में डेरा डाल देते हैं, जहां पहले से घात लगाए बैठे शिकारियों की बंदूकें इन बेजुबान पक्षियों पर गरज उठती हैं। बांदा जिले के चंदौर गांव के रामकुमार बताते हैं कि ‘सुबह से ही शिकारी बागै नदी के किनारे झाडि़यों में छिप कर बैठ जाते हैं और जैसे ही इन पक्षियों का झुंड़ नदी की जलधारा में गिरता है कि उन पर बंदूकों का फायर झोंक दिया जाता है।' वह बताता है कि ‘एक पखवाड़े में दो सैकड़ा से अधिक कश्मीरी काज, लाल सिर काज, नकटा और काली मुर्ग कुरैल का शिकार हो चुका है।'
अपर पुलिस अधीक्षक बांदा स्वामी प्रसाद का कहना है कि ‘किसी भी पशु-पक्षियों का शिकार प्रतिबंधित है, लोगों को लाइसेंसी हथियार सिर्फ जान-माल की सुरक्षार्थ दिए गए हैं, जो भी शस्त्र धारक इन पक्षियों का शिकार करता पाया गया, उनकी बंदूके जब्त कर ली जाएंगी।' इन्होंने बताया कि ‘जनपद के सभी थानाध्यक्षों को कड़े निर्देश जारी कर इन शिकारियों पर कड़ी निगरानी रखने को कहा गया है।'