भारत से खुन्नस में तालिबान ने किया पेशावर एयरपोर्ट पर आतंकी हमला
इस्लामाबाद। पाकिस्तान के पेशावर एयरपोर्ट पर बुधवार की रात अचानक दो रॉकेट आकर गिरे। ताबड़तोड़ फायरिंग और आस-पास के इलाकों में आग की लपटें। दहशत का यह मंजर था एयरपोर्ट का जहां की इमारत का एक हिस्सा भी ढह गया। यही नहीं इस हमले में 9 लोगों की मौत हो गई और 50 से ज्यादा घायल हुए। इस हमले को अंजाम दिया तहरीक-ए-तालिबान ने, वो भी भारत से खुन्नस में।
"अररे... यह भारत का नाम यहां कहां से आ गया। घटना तो पाकिस्तान की है..." आपके मन में यह बात जरूर आयी ओगी, लेकिन सच यही है। तालिबान ने पेशावर एयरपोर्ट पर हमला इसलिये किया, क्योंकि पाक के गृहमंत्री रहमान मलिक भारत के पास शांति और दोस्ती का पैगाम लेकर भारत गये हैं। तालिबान कभी नहीं चाहता है कि भारत-पाक के रिश्तों में मधुरता आये।
इस हमले में पेशावर अंर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर आतंकियों ने तीन रॉकेट दागे, जबकि दो रॉकेट एयरपोर्ट के पास रिहायशी इलाके में। घटना के तुरंत बाद पूरे इलाके में सेना तैनात कर दी गई। एयरपोर्ट के पास रहने वाले लोग रात भर दहशत के साये में रहे। सुबह हुई तो अखबारों की सुर्खियां खून से रंगी हुई थीं। साथ ही इस्लामाबाद, कराची, लाहौर समेत कई हवाई अड्डों पर सुरक्षा बढ़ा दी गई।
अगर यह हमला दोपहर में होता तो कई और जानें जा सकती थीं। लेकिन तालिबान ने इसे रात में एक धमकी के रूप में यह हमला किया। भले ही रहमान मलिक ने भारत आकर विवादास्पद बयान दिये हों, लेकिन पाकिस्तानी जनता और तालिबान की नजर में तो वो भारत के संबंधों को मधुर बनाने ही निकले हैं। यह बात तालिबान को बर्दाश्त नहीं हुई। तालिबान के एक लड़ाके ने लाहौर के एक लोकल टीवी चैनल को फोन करके बताया कि अगर भारत की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाया तो अंजाम इससे भी बुरे होंगे।
इससे पहले जब विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार भारत आयी थीं, तो आतंकियों ने सरहद पर भारतीय सेना पर हमला किया था। यही नहीं उसी यात्रा के दौरान पाकिस्तान के स्टेडियम में पुरस्कार वितरण के वक्त दो बड़े धमाके हुए थे। तब भी तालिबान ने पाक सरकार को हिदायत दी थी कि भारत से दोस्ती का हाथ नहीं बढ़ाये।
कुल मिलाकर देखा जाये तो जब-जब भारत पाक करीब आने की कोशिश करते हैं, तब-तब तालिबानी आतंकी मौत का तांडव रचाते हैं। चिंता की बात तो यह है कि इसी महीने पाकिस्तान क्रिकेट टीम भारत जा रही है। यानी खेल के बहाने दोस्ती का एक और पैगाम। अगर यह पैगाम तालिबान को रास नहीं आया तो ऐसे हमले फिर हो सकते हैं, जिसके लिये दोनों देशों को सचेत रहना होगा।