शीला दीक्षित जी क्या गरीब सिर्फ घटिया क्वालिटी का भोजन करे?
अगर मुख्यमंत्री साहिबा के खर्च की बात करें तो सरकारी खाते से उन पर हर रोज हजारों रुपए खर्च होते हैं। उनके खाने से लेकर आने-जाने के लिये पेट्रोल तक का खर्च सरकार उठाती है। शायद इसी लिये शीला दीक्षित को यह नहीं पता है कि दाल-चावल और आलू-प्याज के दाम क्या चल रहे हैं।
शीला दीक्षित ने अन्नश्री योजना की शुरुआत करते हुए कहा कि वो गरीब परिवारों को अनाज के बदले में हर महीने 600 रुपए देंगी। उन्होंने कहा कि 600 रुपए में दाल, चावल और गेहूं तो मिल ही सकता है। अब अगर बाजार के भाव देखें तो 60 रुपए किलो तो केवल दाल ही मिलती है, वहीं 20 रुपए से नीचे चावल आपको खोजे नहीं मिलेगा, रही बात गेहूं की तो वो भी कम से कम 18 रुपए प्रति किलो में मिलेगा। ये दाम हमने बताये हैं सबसे घटिया क्वालिटी के। अगर क्वालिटी बढ़ायेंगे तो दाल 80 रुपए, गेहूं 25 रुपए और चावल 30 रुपए का मिलेगा। यानी इससे साफ है कि शीला दीक्षित दिल्ली वालों को 600 रुपए में घटिया क्वालिटी का खाना खिलाना चाहती हैं।
लगता है मुख्यमंत्री साहिबा ने दो दिन पहले आयी भारत के लोगों की औसत आयु की रिपोर्ट नहीं पढ़ी। उसमें लिखा है कि भारत के पुरुष 54 और महिलाएं 56 वर्ष की आयु के बाद बीमार रहने लगते हैं। इसका प्रमुख कारण फलों का सही मात्रा में नहीं मिलना है। रिपोर्ट में लिखा है कि भारतीय बच्चों, महिलाओं और पुरुषों को पर्याप्त मात्रा में फल नहीं मिल पाते हैं। इस कारण विटामिन की कमी, कुपोषण, खून की कमी, हीमोग्लोबिन की कमी, आम है।
शीला दीक्षित के बयान से साफ है कि दिल्ली के गरीबों को सिर्फ खराब क्वालिटी का दाल, चावल और रोटी खाने का अधिकार है। फल और हरी सब्जियों के बारे में वो सपने में भी नहीं सोचें।