ममता के बराबर कद पाने के लिये माया ने दिया यूपीए का साथ
समाजवादी पार्टी के वोटिंग के दौरान गैरहाजिर रहने और बहुजन समाज पार्टी के सरकार के समर्थन में वोट करने से विपक्ष का प्रस्ताव गिर गया और रिटेल में एफडीआई के बीच की आखिरी बाधा भी दूर हो गई। दरअसल यह जीत सिर्फ यूपीए की ही नहीं बल्कि मुलायम और मायावती की भी है और मायावती के लिये कुछ ज्यादा ही।
मौजूदा राजनीतिक समीकरणों को देखते हुए लगभग यह तय माना जा रहा है कि 2014 में माया बाहर से नहीं बल्कि यूपीए के साथ होकर चुनाव लड़ेंगी। ऐसा इसलिये भी क्योंकि अगर तीसरा मोर्चा बना तो मुलायम की तो निकल पड़ेगी मगर मायावती की दाल नहीं गलेगी।
वहां सिर्फ मुलायम का दबदबा होगा। ऐसे में मायावती के पास सिर्फ एक ही चारा बचता है कि वो यूपीए से ही प्यार और तकरार दोनो करते रहें। वहीं अगर मायावती यूपीए-3 में आईं तो उन्हें कैबिनेट मिलना तय है। राजनीति के पंडि़तों की मानें तो मायावती ऐसा इसलिये भी कर रही है ताकि उन्हें यूपीए में ममता बनर्जी जैसा कद मिल सके।