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अखिलेश के राज में रेप पीड़िता से खेल रही पुलिस

By रामलाल जयन
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Akhilesh Yadav
फतेहपुर। उत्तर प्रदेश के फतेहपुर शहर में शादी के झांसे में पड़ कर अपनी अस्मत लुटा चुकी एक दलित छात्रा के साथ राज्‍य पुलिस जो खेल खेल रही है, उसे देखकर मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव के लिये सिर्फ एक ही सवाल मन में उठ रहा है- अखिलेश जी कहीं कोई सपाई तो नहीं लिप्‍त है इस केस में?

जी हां यह सवाल इसलिये उठ रहा है, क्‍योंकि पुलिस के पास केस दबाने के लिये लगातार फोन आ रहे हैं। कोई बाहुबली या राजनेता ही है, जिसे बचाने के लिये पुलिस इस दलित रेप पीड़िता से खेल खेल रही है, ताकि वो मीडिया के सामने आकर सच ना उगल दे। अभी तक किसी भी न्‍यूज चैनल, वेबसाइट या बड़े अखबार ने इस मुद्दे को नहीं उठाया है। इस लड़की को न्‍याय दिलाने के लिये वनइंडिया ने जो मुहिम छेड़ी है, वो अब आग की तरह फैल रही है।

ताज़ा अपडेट की बात करें तो छात्रा की मेडिकल रिपोर्ट चौथे दिन भी पुलिस के हाथ नहीं लगी, जिससे पीड़िता को कुछ दिन और नारी निकेतन में ही काटने पड़ेंगे। चूंकि पुलिस का कहना है कि मेडिकल रिपोर्ट मिलने के बाद विवेचक उसका बयान दर्ज करेंगे और फिर बाद में उसे न्यायालय में पेश किया जाएगा, तब कहीं छुट्टी मिल सकती है।

बिना एफआईआर कैसे दर्ज हुआ बयान?

फतेहपुर जिले के नगर पुलिस क्षेत्राधिकारी कार्यालय में तैनात एक कर्मी का कहना है कि अभी तक रेप पीड़िता से जुड़ी मेडिकल रिपोर्ट यहां नहीं आ पाई है, जिसके कारण उसका बयान विवेचक द्वारा नहीं दर्ज किए जा सके। उसने बताया कि नियमतः मेडिकल रिपोर्ट के बाद ही पीड़ित पक्ष का बयान दर्ज किया जाता है, तत्पश्चात ही उसे अदालत में पेशकर सीआरपीसी की धारा-164 के तहत न्यायालय में पेश किया जा सकता है।

सवाल यह उठता है कि 20 नवंबर को सीओ दिन भर में पीड़िता का बयान कब दर्ज किया? अगर दर्ज किया है तो बयान किस न्यायालय या अधिकारी के सुपुर्द किया गया? अगर देश की सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दी गई व्यवस्था पर नजर दौड़ाई जाए तो बिना प्राथमिकी दर्ज किए किसी भी मामले की जांच करने का अधिकार पुलिस को नहीं है, फिर सीओ गौरव सिंह ने किस अधिकार क्षेत्र के चलते पीड़िता और अभियुक्तों का बयान दर्ज किया है?

रात साढ़े दस बजे हुए मेडिकल

पीड़िता की मेडिकल रिपोर्ट के बारे में पुलिस और जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी के बयानों में भिन्नता है, वनइंडिया को मुख्य चिकित्सा अधिरी फतेहपुर आरएन श्रीवास्तव ने बताया कि रेप पीड़िता के आन्तरिक अंगों का परीक्षण शनिवार की करीब साढ़े दस बजे रात्रि में महिला अस्पताल में किया गया था, जिसकी रिपोर्ट नगर कोतवाली भेज दी गई है, सिर्फ एक्सरे बाकी था जो सोमवार को हुआ है उसकी भी रिपोर्ट पहुंचा दी जाएगी।' सीएमओ और पुलिस के विरोधाभासी बयानों से जाहिर होता है कि जरूर दाल में कुछ काला है या फिर पूरी दाल ही काली है। चूंकि चार दिन गुजरने को हैं अभी तक पीड़िता को एफआईआर कापी तक नहीं प्राप्‍त कराई गई, जो सिटीजन चार्टर के मुताबिक उसी समय निःशुल्क दी जानी चाहिए।

सच यह है कि इस मामले के सभी आठ अभियुक्त राजनीतिक पकड़ और धन बली हैं, जिनके प्रभाव में आकर पुलिस काम कर रही है और यही वजह है कि इसीलिए पुलिस ने सभी आसरोपियों को 21 नवंबर को बुलाकर जांच के बहाने सुलह समझौता करने का पीड़िता पर दबाव बनाया था। हम पूछना चाहते हैं मुख्‍यमंत्री से कि हाल ही में उन्‍होंने जब पुलिस को बिना किसी दबाव में काम करने के निर्देश जारी किये थे, तो पुलिस का ऐसा रवैया क्‍यों बना हुआ है।

इसी पहलू की एक कड़ी यह भी है कि पुलिस पीड़िता को जल्दी नारी निकेतन से मुक्त नहीं करना चाहती, ताकि वह पुलिस के काले कारनामें न उजागर कर सके। अब तो यह मानना ही होगा कि चार दिन पुलिस हिरासत झेलने वाली पीड़िता अभी जल्दी खुली हवा में सांस लेने का मौका नहीं मिलने वाला।

फतेहपुर रेप केस में इससे पहले क्‍या हुआ पढ़ने के लिये क्लिक करें PREVIOUS पर।

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English summary
The victim of Fatehpur rape case has still not get support from police to send the accuse into jail. This is how police work in Akhilesh Yadav's regime.
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