फतेहपुर रेप केस: मेडिकल रिपोर्ट में हेराफेरी की आशंका
गौरतलब है कि फतेहपुर शहर के एक नारी निकेतन में पिछले छह दिन से रेप की शिकार एक दलित छात्रा को पुलिस महज इसलिए बंद किए है कि वह मेडिकल रिपोर्ट मिलने के बाद अदालत में सीआरपीसी की धारा-164 का उसका बयान दर्ज करा सके। मुख्य चिकित्सा अधिकारी फतेहपुर डा. आर एन श्रीवास्तव ने बुधवार को बताया था कि राजकीय महिला अस्पताल से सारी रिपोर्ट कोतवाली पुलिस को सौंप दी गई है, पुलिस ने भी गुरुवार को अदालत में बयान दर्ज कराने की बात कही थी।
गुरुवार को सारा दिन मीडि़या कर्मी सीजेएम न्यायालय के इर्द-गिर्द घूमते रहे, लेकिन पुलिस शाम को यह बताया कि ‘अभी सरकारी अस्पताल से मेडिकल रिपोर्ट पुलिस को नहीं मिली। अब शनिवार को ही बयान दर्ज होने की उम्मीद की जा सकती है।' सवाल खड़ा होता है कि यदि अस्पताल से रिपोर्ट आई तो गई कहां? और यदि नहीं आई तो इसके पीछे साजिश क्या हो सकती है? फिर सीएमओ को इतना बड़ा झूठ बोलने की जरूरत क्यों पड़ी? कहीं ऐसा तो नहीं कि स्वास्थ्य और पुलिस विभाग की भूल भूलैया में पीड़िता की मेडिकल रिपोर्ट ही गायब हो गई हो। गुलाबी गैंग की नगर कमांडर शैल त्रिपाठी ने पुलिस और चिकित्सा विभा के अधिकारियों पर मेडिकल रिपोर्ट में बड़ी हेराफेरी करने का आरोप लगाया है।
सच्चाई क्या है यह तो ये दोनों विभाग ही जाने, पर पीड़िता का एक नुकसान तो हो ही गया कि उसे कन्या विद्या धन योजना के अंतर्गत अपने अध्ययनरत विद्यालय में दाखिल करना था, जिसकी शुक्रवार को अंतिम तिथि है अ बवह दाखिल कर पाएगी। चूंकि अब नारी निकेतन से उसकी रिहाई शनिवार या रविवार को ही संभव है।
उधर, दिल्ली से फोन पर गुलाबी गैंग की मुखिया संपत पाल ने बताया कि ‘व्यस्तता के चलते कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी से उनकी मुलाकात तो नहीं हो सकी, पर ग्रामीण विकास मंत्री प्रदीप आदित्य जैन और कांग्रेस के महासचिव जनार्दन द्विवेदी को ज्ञापन सौंप कर मदद की गुहार लगाई है। इधर, समाजवादी पार्टी के कर्वी विधायक वीर सिंह ने बताया कि ‘उन्होंने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को पत्र सौंप कर पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग है।
इस मामले में पुलिस के लिए सबसे शर्मनाक यह है कि सभी नामजद मुल्जिम शहर में ही मौजूद हैं, पर अब तक एक भी मुल्जिम को गिरफ्तार नहीं कर पाई या गिरफ्तार ही नहीं करना चाहती।