लखनऊ: चोट बांए पैर में ऑपरेशन किया दाहिने का
किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के चिकित्सक इतने जागरूक हैं कि इलाज करते वक्त वह तीमारदारों की भी नहीं सुनते। ट्रामा सेन्टर के ऑर्थोपैडिक वार्ड में इसका एक ताजा उदाहरण देखने को मिला जिसमें जूनियर चिकित्सक ने बाएं पैर के ऑपरेशन की बजाय दाहिने में छेद कर दिया। मरीज के पुत्र बृज किशोर अवस्थी के अनुसार उनकी मां दो दिन पहले घर में रसोई में काम करते वक्त गिर गयीं।
गिरने के कारण मरीज शांति देवी(76) के बांए पैर में फ्रेक्चर हो गया। परिजन उन्होंने ट्रामा सेन्टर ले गए जहां चिकित्सकों ने जांच पड़ताल कर ऑपरेशन की बात कही। शनिवार की शाम चार बजे ऑपरेशन का समय आया तो एक जूनियर डाक्टर कुछ उपकरणों के साथ मरीज के पास पहुंचा और चोट का मुआयना करने लगा। उस वक्त मरीज की बहू उसके साथ थी। बहू को मरीजसे दूर करते हुए डाक्टर ने उनके पैर में छेद किया ताकि उसमें तार(इम्प्लांट) डालकर हड्डी को आपस में बांधा जा सके।
चिकित्सक द्वारा छेद बनाए जाने के बाद जब बहू ने देखा कि चोट तो बांए पैर में थी जबकि छेद दाहिने पैर में किया गया तो उसने एतराज किया तथा चिकित्सक को उसकी गलती बतायी। इस पर जूनियर चिकित्सक भड़क गया और सारे उपकरण छोड़कर वहां से फरार हो गया। तीमारदार हंगामा करने लगे जिसके बाद मामला ट्रामा इंचार्ज डा. विनीत शर्मा तक पहुंचा और वह मामले पर लीपापोती करने पहुंच गए। उन्होंने आनन-फानन में बाएं पैर का ऑपरेशन कर इम्प्लांट लगा दिया और बांए पैर के छेद का जस का तस छोड़ दिया। ज्ञात हो कि यह सारा काम ऑपरेशन थियेटर की बजाय वार्ड में ही कर दिया गया इसके बाद भी अधिकारी इसे उचित ठहराते रहे।