डिप्रेशन के सबसे ज्यादा शिकार हैं, भारतीय
इस रिपोर्ट के अनुसार 9 प्रतिशत भारतीय कभी न कभी इस समस्या से ग्रस्त रहे ही है, जबकि 36 प्रतिशत लोगों ने भारी डिप्रेशन का सामना किया है। गौरतलब है कि इसके शिकार पुरूष और महिलाएं तो हैं ही, बच्चे भी इसके शिकार हैं।
रिपोर्ट के अनुसार इस समय बच्चों में इस बीमारी का प्रतिशत पांच से दस है तो वयस्कों में दस से पन्द्रह प्रतिशत है जबकि टीनएजर्स जल्द ही इसके शिकार हो जाते हैं । महिलाओं में यह बीमारी कम समय में ही असर दिखाती है।
रिपोर्ट के अनुसार भारत में डिप्रेशन के शिकार होने की औसत आयु 31.9 वर्ष है। जबकि अमेरिका में यह 22.7 और चीन में 18.8 है। विशेषज्ञों के अनुसार इस बीमारी को लेकर लोगों में जागरूकता नहीं है। इसके शिकार व्यक्तियों को पता भी नहीं चल पाता कि वह अवसादग्रस्त हैं।
इस बीमारी के लक्षणों में नींद न आना, अकेले रहना पसंद करना, मन में आत्महत्या के विचार आना और थकान होना है।